गुरू भीम पहलवान की कर्म भूमि किशन गढ महरोल्ली
दिल्ली के किशन गढ महरोल्ली मे सन् 1951 को भीम पहलवान का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम रतन सिंह पहलवान और माता का नाम रामदेई था । जब भीम पहलवान जी का जन्म हुआ तब उनके डील डोल को देखकर ही पिता रतन सिंह ने अपने बेटे का नाम भीम रखने का फैसला किया था । रतन सिंह भी अपने समय के एक प्रतिष्ठित पहलवान रहे है। रतन सिंह के बेटे भीम ने अपने नाम के अनुरूप कार्य किया एक तरह से कह सकते है। जैसा नाम वैसा काम,
भीम जी की नशो मे कुस्ती बचपन से ही कूट- कूट कर भरी पडी थी
श्री भीम जी की नशो मे कुस्ती बचपन से ही कूट- कूट कर भरी पडी थी । तथा भारत केसरी , हिन्द केसरी के साथ अनेको प्रतिस्पर्धाओ मे मेडल जीतकर अपना लोहा मनवाया । पहलवान भीम जी को उनके जानने वाले उन्हे आज भी कुस्ती का दिवाना कहते है। पहलवान जी ने दिल्ली टूरीज्म डपलामेन्ट कारपोरेशन मे नौकरी की लेकिन कुस्ती के लिये समय निकालना कभी ना भूले लगातार कुस्ती के प्रति अटूट लगाव के कारण ही पहलवान भीम जी ने 1968 मे दिल्ली देहात बाल व्यायामशाला की स्थापना की और बच्चो को कुस्ती सिखाने लगे ।
भीम पहलवान की बडे दंगलो मे होती थी बडी भुमिका
भीम पहलवान वो पहलवान थे जिनहोने खेल को बहुत कुछ दिया उन्होने बहुत संघर्ष खेल को आगे बढाने के लिये किया जीवन के आखिरी दौर तक वह संघर्ष जारी रहा बडे दंगलो मे पहलवान जी की बडी भूमिका लम्बे समय तक चलती रही उन्होने अनेको भरत केसरी , हिन्द केसरी दंगलो का आयोजन कराया और अनेको दंगलो मे समय समय पर सहयोग करते रहे । अपने इन्ही कार्यो की बदौलत भीम पहलवान को आज भी याद किया जाता है।
भीम पहलवान को जीव जनतुओ से था अटूट लगाव
भीम पहलवान को जीव जनतुओ से अटूट लगाव रहा पहलवान जी जब अखाडे मे होते तो कई सारे कुत्ते बिल्ली कौवे तक अखाडे मे आ जाते थे , पहलवान जी उन्हे दूध पिलाया करते । ये प्राणी उनकी गाडी तक पहचान लेते थे और गाडी के पीछे दौड पडते पहलवान जी कई बार तो इन्हे अपनी गाडी मे बैठा लेते थे ।
कमेंट्री के बादशाह थे भीम पहलवान
कुस्ती के दंगलो मे भीम पहलवान जी कमेंट्री भी किया करते थे , उनका बोलने का ढंग इतना प्राभावी था कि क्या कहने आज भी कई लोग भीम पहलवान को याद कर कहते है। कि पहलवान जी जैसी कमेंट्री आज तक सुनने को नही मिली
कुस्ती के दीवाने थे भीम पहलवान
भीम पहलवान जी कुस्ती से जुडे कार्यो को करने मे अपने निजि कार्यो को भी छोड देते थे । उनकी लग्नशीलता को देखकर उनके करीबी भीम पहलवान जी को कुस्ती का दीवाना कहते थे । क्योकि कई बार तो पहलवान जी अपनी सारी तनखा को पहलवानो पर ही खर्च कर देते थे ।
श्री भीम पहलवान की पत्नी श्रीमति सरस्वती महलावत को करीब से जानिये
श्रीमति सरस्वती महलावत का जन्म दिल्ली के ही सहीपुर गॉव मे सन् 1955 मे हुआ था । पिता उमराव सिंह व मॉ चन्द्रावती के लाड प्यार से पली बडी हुई सरस्वती का जैसा नाम वैसा ही काम भी रहा । सरस्वती जी बचपन से ही पढाई लिखाई मे बेहद होनहार थी । उनकी पढाई और ज्ञान कौशल के चलते होम मिनिस्टरी मे नौकरी मिली बाद मे वे टीचिगं लाईन मे आ गई और महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ट टीचर के अवार्ड से सम्मानित किया गया। यहॉ तक तो ठीक था लेकिन जब जरूरत पडी तो कुस्ती के क्षेत्र मे अपने आप को उन्होने बखुबी स्थापित ही नही किया बल्की अपने पति की विरासत को आगे बढाने के लिये लगातार संघर्ष भी किया जो आज तक जारी है। सरस्वती जी बताती है कि अभी हमारे पास मे 50 बाई 50 फिट मिट्टी का अखाडा है। उसी मे पहलवान ट्रेनिगं लेते है तथा बडे दंगल का आयोजन हम बहुत पहले से ही करते आ रहे है। अब बेटे मोहित के कन्धो पर जिम्मेदारी है। जिसे वो बखूबी निभा रहा है।
1981मे बन्धे शादी के बन्धन मे
1981 मे पहलवान भीम जी की शादी सरस्वती महलावत के साथ हुई । सरस्वती महलावत जी होम मिनिस्टरी मे नौकरी करती थी । उस समय सरस्वती महलावत जी के पास M.A MED , कमर्शियल आर्ट डिग्री के अलावा कई डिग्रीया थी । सरस्वती जी ने बाद मे होम मिनिस्टरी की नौकरी छोडकर टीचिगं लाईन की नौकरी सुरू की पहलवान भीम जी के साथ रहते - रहते कब सरस्वती जी को कुस्ती से लगाव हो गया उन्हे पता ही ना चला । भीम पहलवान जी को कुस्ती से इतना लगाव था कि अपनी सारी तनखा कई बार वे अपने पहलवानो पर ही खर्च कर देते थे । सरस्वती जी पुराने दिनो को याद कर बताती है कि मै कई बार सोचती थी की पहलवान जी को कुस्ती के प्रति कितना लगाव है। वे कई बार घर परिवार के कार्यो को छोड कुस्ती के कार्यो को महत्व देते थे । सरस्वती जी आगे कहती है कि मैने भी पहलवान जी की भावनाओ को समझने मे देर ना लगाई और उनके कार्यो मे अपना हाथ बटाने लगी मैने उनके कार्यो का कभी विरोध नही किया ।
भीम पहलवान जी को दो बेटे हुये रोहित और मोहित , लेकिन पहलवान जी की इच्छा थी की एक बेटी भी हो पहलवान जी के घर मे एक बेटी का जन्म भी हुआ । भीम पहलवान जी अपनी बेटी को बेटो से भी ज्यादा दुलार करते थे । बेटी का नाम रचिता रखा लेकिन घर मे प्यार से भावना नाम लेकर पहलवान जी अपनी बेटी को पुकारा करते थे । भीम पहलवान जी के बेटे रोहित का स्वर्गवास हो चुका है।
मोहित खुद का बिजनेश करता है। और बेटी रचिता डॉक्टर है। साल 2000 मे वो घटना घटी जो नही घटनी चाहिये थी । भीम पहलवान जी का एक ऐक्सीडेन्ट मे स्वर्गवास हो गया था। भीम पहलवान जी की पत्नी श्रीमती सरस्वती महलावत जी के लिये यह घटना बहुत बडे दुख के पहाड के समान थी। इसके बाद सरस्वती महलावत जी ने अपने आप को सम्भाला और अपने पति की जो आधी अधुरी पडी योजनाये थी उनमे जान फूकने का काम किया । कुछ ही समय के बाद मे जिस पृष्ठ भूमि पर भीम पहलवान जी काम किया करते थे उसी पृष्ठ भूमि पर आकर श्रीमती सरस्वती महलावत जी ने कार्य करना सुरू कर दिया ।
श्रीमती सरस्वती महलावत जी ने अखाडे की बागडोर सम्भाली
अपने पति के अखाडे की बागडोर को भी अपने हाथो मे ले संचालन करना सुरू कर दिया । श्रीमती सरस्वती महलावत जी देश की एक मात्र एसी महिला है जो कुस्ती के क्षेत्र मे वो योगदान दे रही है। जिस योगदान की बुनियाद पर श्रीमति सरस्वती जी करोडो महिलाओ और पुरूषो के लिये प्रेरणा का र्श्रोत बन चुकी है। श्रीमती सरस्वती महलावत जी दिल्ली देहात बाल व्यायामशाला की संचालिका रहते हुये अखाडे को नई उचाईयॉ देने मे कभी पीछे नही हटी और समाज व देश के सामने श्रीमती सरस्वती महलावत ने अपने आप को कई क्षेत्रो मे साबित किया । जिसे कभी नकारा नही जा सकता है।
अखाडें मे श्री मोहित भीम पहलवान (किगं)
दिल्ली देहात बाल व्यायामशाला के वर्तमान संचालक है, श्री मोहित भीम पहलवान (किगं)
पहलवान भीम जी का लडका मोहित किंग भी अखाडे को अपनी सेवाये देता है। अखाडें पिता के बताये रास्ते पर चलकर मोहित अपने अखाडे को नई दिशा देने का कार्य कर रहे है। ताकि अपनी विरासत को सहेजकर रखा जा सके , इस विरासत को यहा तक एक जो मंजिल मिली है। उसमे गुरू भीम पहलवान जी जिन्हें कुस्ती रत्न के नाम से भी जाना जाता है। उनका बडा योगदान रहा है।
श्री मोहित भीम पहलवान (किगं)का समर्पण भाव
कई कुस्ती के प्रति समर्पण भाव ही तो हैं , कि मोहित भीम पहलवान (संचालक दिल्ली देहात बाल व्यामशाला ) अपने अखाडे के कई बच्चो का खर्च तक उठाते है। इसके लिये मोहित भीम पहलवान उन बच्चो को चुनते है। जो रोजाना अखाडे मे अभ्यास करते है। गैर हाजिर नही रहते । इससे बच्चो मे प्रतिस्पर्धा बढती है।
श्री मोहित भीम पहलवान (किगं)का दंगलो मे रहता है विशेष सहयोग
दिल्ली के दंगलो से मोहित भीम पहलवान किंग का पुराना नाता रहा है। आज भी दंगलो मे गुरू भीम पहलवान की तर्ज पर मोहित पहलवान जी का सहयोग रहता है। मोहित भीम पहलवान कहते है। कि हम तो खेल के लिये तन मन धन से मेहनत करते है। फल की इच्छा नही करते ।
श्री मोहित भीम पहलवान (किगं) से जुडी कुछ बाते
श्री मोहित भीम पहलवान (किगं ) का जन्म 14-11-1986 को दिल्ली मे हुआ था । पिता भीम पहलवान और माता श्रीमती सरस्वती देवी ने श्री मोहित भीम पहलवान (किगं ) को उच्च संस्कार देने मे कोई कमी नही छोडी , यही कारण है की श्री मोहित भीम पहलवान (किगं ) के अन्दर समाज सेवा की भावना कूट कूट कर भरी है। मोहित की बहन का कहना है कि मोहित जैसा भाई ढूढने से नही किस्मत से मिलता है। श्री मोहित भीम पहलवान (किगं ) ने अपनी मेहनत और अपने उच्च कार्यो की बदौलत समाज मे एक नई पहचान बनाई है। साल 2009 मे श्री मोहित भीम पहलवान (किगं ) की शादी हो चुकी है। श्री मोहित भीम पहलवान (किगं ) बजरंग बली के भक्त है। दिल्ली देहात बाल व्यायामशाला अखाडे के संचालन के अलावा समाज सेवा मे श्री मोहित भीम पहलवान (किगं )जी सदा समर्पित रहते है।
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत
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