पहलवान चरणदास पहलवान के पिताजी का जन्म गाजियाबाद के सहाणी गॉव मे हुआ था । बाद मे पहलवान जी के पिताजी दिल्ली मे आ गये तथा बिडला मिल मे नौकरी करने लगे । 04 -01- 1954 को दिल्ली मे पहलवान चरणदास का जन्म हुआ । पहलवान जी के पिता का नाम कर्ण सिंह और माता का नाम करतारी देवी है। एक दिन अपने पिता का खाना लेकर चरणदास बिडला मिल मे गया वही पर गुरू हुमान आये हुये थे गुरू हनुमान ने कर्ण सिंह से बच्चे के बारे मे पूछा कि कौन है ? कर्ण सिंह ने गुरू हनुमान को बताया की मेरा बेटा है गुरू जी l गुरू हनुमान बोले की इसे पहलवानी कराओ और मेरे पास भेजा करो यही से चरणदास अखाडे मे जाने लगा l जब चरणदास ने पहलवानी की सुरूवात की तो इनके साथ के पहलवान थे सतपाल , सुदेश , जुगमेन्द्र , सतबीर, प्रेमनाथ आदी ये सब मिलकर जोर किया करते ये बाते सन 1968 के आस पास की है। उस समय अखाडे मे बडे बडे पहलवान मौजूद थे जिनमे सूरज भान , सज्जन सिंह , रामधन , ज्ञान प्राकाश , राम स्वरूप , रणबीरा , धीरा , रघुबीर रायपुरिया सोनिपत वाले , चरणदास को पहला मौका सन 1972 मे मिला स्कूल की तफ से चरणदास उडिसा के कटक मे गये उस समय चरणदास 46 किलो मे कुस्ती लडते थे । चरणदास के साथ जुगमेन्द्र बरवाला , सतबीर दहिया नहारी गॉव के और ऋषिपाल पहलवान (जो अब जापान चले गये ) भी गये थे । ये सब पहलवान गोल्ड मेडल लेकर आये थे । सन 1973 मे पहलवान चरणदास सिनियर मे नेशनल बम्बई के अन्दर 48 कीलो मे खेलने गये । फ्रिस्टाईल मे सिलवर और ग्रीको रोमन मे भी सिलवर मेडल प्राप्त किया इसके बाद पहलवान चरणदास ने रोहतक के अन्दर सन 1974 मे नेशनल मे ही गोल्ड मेडल प्राप्त किया । इस नेशनल के अन्दर पहलवान चरणदास ने ऐसा रिकोर्ड बनाया जिसे आज तक कोई भी खिलाडी नही तोड पाया पहलवान चरणदास ने 1 मिन्ट 10 सैकिन्ड के अन्दर चार कुस्तीया विपक्षी को बाई फाल चित करके जीती थी । उनका यह रिकार्ड आज तक कायम है। सन 1974 मे ही एशियन गेमस खेलो के टरायल के दौरान चरणदास पहलवान को सतबीर दहीया ने हरा दिया फ्री स्टाईल मे , इसके बाद पहलवान चरणदास ने ग्रीकोरोमन मे टरायल दिया सभी हो हराकर तेहरान गये वहॉ पर चरणदास का चौथा नम्बर आया अगले वर्ष 1975 मे मिट्टी की कुस्तीयो का नेशनल लुधियाना मे हुआ जिसमे पहलवान चरणदास ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया । अब पहलवान चरणदास को नौकरी मिलने वाली थी , लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। अगली सुबह पहलवान चरणदास के जीवन मे अन्धेरा लेकर आई बिडला मिल के बहार प्रेम नगर दिल्ली मे पहलवान चरणदास पर एक झूठा केश लग गया । पहलवान चरणदास एक साल तक लगातार केश की पैरवी करते रहे । कुस्ती का प्रभावित होना स्वभाविक था । पहलवान जी एक साल बाद बरी हो गये लेकिन जो नौकरी आजीविका का साधन बन्ने वाली थी उस से हाथ धो बैठे । साल 1975 मे पहलवान जी की शादी प्राभा देवी के साथ हुई पहलवान चरणदास के पास एक लडका एक लडकी है। चरणदास पहलवान कुस्ती की कोचिगं देने लगे । साल 1994 से लेके 2008 तक छत्रशाल स्टेडियम मे चरणदास पहलवान ने अपनी सेवाये दी पहलवान सुशील कुमार , योगेश्वर दत्त , अनिल मान , पवन पहलवान , अमित पहलवान , बजरंग पूनिया , हितेन्द्र पहलवान , सुमित पहलवान समेत अनेको पहलवानो को अपनी कला से चरणदास ने निखारा इन पहलवानो के अलावा भी अनेको पहलवानो की पहलवानी मे पहलवान चरणदास के योगदान को नही भुलाया जा सकता , साल 2008 के बाद चरणदास पहलवान की मुलाकात गुरु हनुमान अखाड़े के नामचीन पहलवान नवीन मोर के साथ हुई पहलवान नवीन मोर ने चरणदास को गुरू हनुमान अखाडे मे आने का निमंत्रण दिया । एक दिन पहलवान चरणदास गुरू हनुमान अखाडे मे गये और वही के होकर रह गये । आज भी चरणदास जी गुरू हनुमान अखाडे मे अपनी सेवाये देते है।
साक्षातकार कर्ता
रविन्द्र सिंह ,ऊण -शामली
कुस्ती जगत ब्यूरो चीफ
(उत्तर प्रदेश )
साक्षातकार कर्ता
रविन्द्र सिंह ,ऊण -शामली
कुस्ती जगत ब्यूरो चीफ
(उत्तर प्रदेश )