Tuesday, October 22, 2019

चुनौतियो से लडना मानव का कर्म :- अर्जुन पहलवान



रविन्द्र शामली - आप अब तक कितने दंगल करा चुके अर्जुन पहलवान जी ?

अर्जुन पहलवान - छोटो मोटे दंगलो की गिनती तो याद नही है। बडे दंगलो की बात करे तो यह 32 वॉ दंगल है।

रविन्द्र शामली -सबसे बडा इनाम इस दंगल मे कितना रखा गया है ?

अर्जुन पहलवान - सबसे बडा इनाम पहले हमने चार लाख रू0 रखा था फिर अमित प्रमुख जी बोले के भाई अर्जुन एक लाख रू0 मेरी तरफ से ,  आखिरी कुस्ती पॉच लाख रू0 के इनाम पर होगी ,  फिर आखिरी कुस्ती का इनाम  पॉच लाख कर दिया गया । 

रविन्द्र शामली - कम शब्दो मे कहे तो दंगल क्या है ?

अर्जुन पहलवान - सच कहे तो दंगल हमारी संस्कृति का हिस्सा है। जिसके माध्यम से युवा मजबूत होते है और यही से मजबूत समाज का निर्माण होता है। समाज मजबूत होगा तो देश भी मजबूत होगा । 

रविन्द्र शामली - इस सफल आयोजन के लिये किन- किन चुनौतियो का सामना करना पडा ?

अर्जुन पहलवान -कोई भी काम हो चुनौतिया हर कार्य मे आती है। चुनौतियो से लडना मानव का कर्म भी है। और धर्म भी है। मै चुनौतियो से लडा और नतिजा आपके सामने है। 

रविन्द्र शामली - फिर भी सबसे बडी चुनोतिया कौन सी रही  ?

अर्जुन पहलवान - यह दंगल उन कार्यो मे से एक था जो सर्व समाज के सहयोग से होते है। मै कई महीने तक सहयोग के लिये  लोगो से मिला कुछ अच्छे लोग मिले कुछ बुरे मिले । कई खट्टे मीठे अनुभव हुये । इस चुनौती को पार किया । मेरे सामने  दूसरी चुनौती थी बहार से आने वालो को पूरा सम्मान देने की जिसमे मुझे सौ प्रतिशत सफलता मिली । 

रविन्द्र शामली - आपकी सबसे बडी ताकत क्या है ? 

अर्जुन पहलवान -बाबा जी फूलशन्दे जी का आशिर्वाद है। मॉ बाप का आशिर्वाद है। मेरे भाई भतीजे बच्चे मेरी आज्ञा का पालन करते है बस यही मेरी ताकत है। 

रविन्द्र शामली - आप सब भाईयो के नाम महाभारत के पात्रो पर रखे गये है। लोग पूछते है  क्यो  ? 

अर्जुन पहलवान - कहा जाता है कि हमारे गॉव मे कभी पॉचो पाण्डव आये थे और यहॉ पर रूके गॉव का नाम पचैण्डा तभी पडा था । पिताजी भी पहलवान रहे है अपने समय के , वे एतिहासिक बातो को आगे बढाने मे विश्वास रखते है। इन्हीं बातो से प्रभावित होकर पिताजी ने हम पॉचो भाईयो के नाम पाण्डवो के नाम पर रख दिये थे । 

रविन्द्र शामली - आपके अखाडे पचैण्डा कला मे कौन - कौन सी सुविधा उबलब्ध है ?

अर्जुन पहलवान -दौड के लिये ग्राउन्ड है,  मैट है,  जिम है ,  मैट हॉल तैयार हो रहा है। 

रविन्द्र शामली - आपके बारे मे एक बात कही जाती है कि अर्जुन पहलवान बात को मुह पर कहने वालो मे से है। जबकि आज के दौर मे ये  विचार धाराये बदल रही है। इस विषय पर आपकी क्या राय है ? 

अर्जुन पहलवान - विचारधाराये बदलने का सबसे बडा कारण है। आज के दौर मे लोग अपना नफा नुकशान ज्यादा देखते है। लेकिन मै इन बातो से इत्तेफाक़ नही रखता हू । मै किसी के प्रति कोई द्वेष नही रखता हू । मुझे   जिसे जो कहना होता है उसे उसके मुह पर ही कहने मे विश्वास रखता हू ।  

रविन्द्र शामली - पाठको के लिये क्या संदेश देना चाहोगे ?

अर्जुन पहलवान - यही कहना चाहूगॉ कि अच्छा काम करोगे तो सम्मान मिलेगा ,  बुरा काम करोगे तो गालिया । यही दो चीजे साथ जाती है बाकी कुछ नही साथ जाता इसलिये अच्छे काम करो । अपने बच्चो को सदाचार की बात सिखाया करो , अपने मॉ बाप की सेवा किया करो यही सबसे बडा तीर्थ है। 
                                                                                   समाप्त
साक्षातकार कर्ता 
रविन्द्र शामली 
कुस्ती जगत