Thursday, March 14, 2019

गुरू हनुमान पर विशेष


 गुरू हनुमान का असली नाम था विजयपाल 




विजयपाल का जन्म 15 मार्च सन् 1901 मे राजिस्थान के झुंझुनूं जिले की चिडावा तहसील मे एक किसान परीवार मे हुआ था । विजयपाल को बचपन से ही कुस्ती का बेहद शौक था । लेकिन पस्थितियॉ अनुकूल नही थी । फिर भी रोजाना कसरत कारना विजयपाल की दिनचर्या मे शामिल था ।


नौकरी की खोज मे आये थे दिल्ली

 विजयपाल जब कुछ बडे हुये तो दिल्ली आ गये और दिल्ली की बिडला मिल मे नौकरी करने लगे थे। विजयपाल का नौकारी से बचा हुआ समय बिडला व्यायामशाला मे ही बीतने लगा,  इन्ही बातो से प्रभावित होकर के0के0 बिडला ने बिडला मिल की व्यायामशाला विजयपाल को दान मे दी । अब विजयपाल के कदम जमीन पर कहॉ पडने वाले थे , विजयपाल को रात मे भी नीदं ना आती रात के तीन बजते ही बिडला व्यायामशाला के अखाडे पर खडे हो तेल की मालिश करने के बाद विजय पाल दण्ड बैठक पेलने लगते ।



दिल्ली के युवा विजपाल से हो गये थे प्रभावित

विजयपाल से प्रभावित हो आस पास के लडके भी विजय पाल के पास आने लगे विजय पाल की कुस्ती के प्रति दीवानगी को देख के0के0 बिडला समेत कई लोग विजय पाल को  हनुमान कहने लगे थे ।  देखते ही देखते विजयपाल का नाम ही हनुमान पड गया , समय के साथ - साथ अखाडे मे पहलवानो की संख्या बढने लगी थी । विजयपाल को विजयपाल से हनुमान और हनुमान से गुरू हनुमान बनते देर ना लगी । इस बिडला व्यायामशाला की स्थापना तो बहुत पहले हो चुकी थी लेकिन 1920 मे गुरू हनुमान ने इस व्यायामशाला की बागडोर अपने हाथ मे ले ली थी । सन 1928 के बाद गुरू हनुमान का सारा समय पहलवानो को तैयार करने मे बीतने लगा । गुरू हनुमान ने इस अखाडे की मिट्टी मे अनेको योद्धा , राष्ट्रीय , अर्न्तराष्ट्रीय पहलवान तैयार किये ।



गुरू हनुमान जी अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे 

गुरू हनुमान जी अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे , अनुशासन हीनता उन्हे बिलकुल बरदास्त नही थी । एक बार की बात है। गुरू हनुमान जी को एक जगह जाना था गुरू जी अखाडे से चल दिये सभी पहलवान जानते थे कि गुरू जी कल तक आयेगे  लेकिन रस्ते मे से ही किसी कारण गुरू हनुमान वापिश आ गये अखाडे का एक नामचीन पहलवान फिल्म देखने चला गया था । गुरू जी को जब इस बात का पता चला तो गुरू जी सिनेमा हाल मे पहुच गये । जैसे ही नामचीन पहलवान सिनेमा घर से बहार निकला तो गुरू जी ने कई लठ मार दिये सब देखते रह गये एसे थे गुरू जी हनुमान उन्होंने कभी अनुशासन के मामले मे समझोता नही किया

अनुशासन बना पहलवानो के लिये संजीवनी 

गुरू हनुमान की लाठी और अनुशासन ने पहलवानो को एक एसा  माहोल  तैयार करके दिया , जिसके बलबू ते पर अनेको पहलवानो ने देश का नाम रोशन किया गुरू हनुमान उन महापुरूषो मे से है। जिन्होने  अपनी शादी नही कराई लेकिन असंख्य लोगो को उनके पैरो पर खडा कर उनके  घरो मे सहनाई बजवादी


गुरू हनुमान ने अपनी मेहनत से बनाई थी अपनी पहचान 

आज भी कागजो मे यह अखाडा बिडला व्यायामशाला के नाम से दर्ज है , लेकिन देश विदेशो और लोगो के दिलो मे गुरू हनुमान अखाडा के नाम से इस व्यायामशाला ने जगह बनाई है। यह सब गुरू हनुमान की  अपनी मेहनत का ही परिणाम है।


 गुरू हनुमान ने पहलवानो की नौकरी के लिये सरकार के सामने उठाई थी आवाज 

जब गुरू हनुमान ने देखा की पहलवान आखिर मे आर्थिक तंगी का शिकार हो जाते है तो इस समस्या को दूर करने के लिये गुरू हनुमान जी ने सरकार से सिफारिश भी की और परिणाम स्वरूप अच्छे पहलवानो को सरकारी नौकरीयॉ दी जाने लगी । गुरू हनुमान जी आजीवन कुवॉरे रहे । 24 मई 1999 मे गुरू हनुमान जी गंगा स्नान कर लौट रहे थे दुर्भाग्यवश मेरठ के निकट उनकी गाडी का टायर फट गया और गाडी एक पेड से टकरा गई । इसी हादसे मे गुरू हनुमान जी का स्वर्गवास हो गया। उस दिन कुस्ती का एक बडा अध्याय बन्द हो गया था। इस अखाडे के राज सिंह , ब्रहम प्रकाश , सरदार अजित सिंह , वेद प्रकाश , ओम प्रकाश , राजनारायण , रामधन , सूरज भान , सज्जन सिंह ,रामस्वरूप, ज्ञान प्रकाश जैसे पहलवानो को कभी नही भुलाया जा सकता है। गुरू जी हनुमान के द्वारा तैयार किये गये इन पहलवानो ने दुनिया मे अपना लोहा जो मनवाया है।


 अर्जुन अवार्ड प्राप्त करने वाले गुरू हनुमान के शिष्यो पर एक नजर -

 (1) मुख्त्यार सिहं (1967)
(2) सुदेश कुमार (1971)
(3) प्रेमनाथ (1972)
(4) सतपाल (1974)   
(5) जुगमेन्द्र (1980)
(6) करतार सिंह (1982)
(7) महाबीर सिहं (1985)
(8) सुभाष वर्मा (1987)
(9) राजेश कुमार  (1988
(10) अशोक कुमार (1999)
(11) नरेश कुमार (2000)
(12) रणधीर सिंह (2000)
(13) सुजीत मान (2002)
(14) अनुज चौधरी (2004)
(15) शौकिन्द्र तोमर (2005)
(16) सतबीर दहिया (2009)
(17) राजीव तोमर (2014)
(18) मंजीत छिल्लर (2015)

 पदम  श्री पुरूस्कार प्राप्त करने वाले गुरू हनुमान के शिष्यो पर एक नजर -

(1) स्वयं गुरू हनुमान (1983)
(2) सतपाल (1983)
(3) करतार सिंह (1986)



 गुरू हनुमान को प्राप्त होने वाले अन्य अर्न्तराष्ट्रीय पुरूस्कारो पर एक नजर -

1- डिप्लोमा आफ ऑनर (1980) फ्रासं मे गुरू हनुमान को डिप्लोमा ऑफ आनर से सम्मानित किया गया था।
2- लोर्ड बुद्धा अवार्ड (1981) जापान मे गुरू हनुमान को लोर्ड बुद्धा अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
3- कुस्ती खुदा अवार्ड (1981) पाकिस्तान मे गुरू हनुमान को कुस्ती का खुदा अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
4-मास्टर डिग्री ब्लैक बैल्ट (1991) जापान मे गुरू हनुमान को मास्टर डिग्री ब्लैक बैल्ट से सम्मानित किया गया था।
5-कुस्ती किगं अवार्ड (1991) अमेरिका मे गुरू हनुमान को कुस्ती किगं अवार्ड से सम्मानित किया गया था ।
6-अमर शहीद उधम सिंह अवार्ड (1991) मे गुरू हनुमान को इग्लैण्ड मे अमर शहीद उधम सिंह अवार्ड से सम्मानित किया गया था ।

                                          गुरू हनुमान  व रामधन पहलवान जी

गुरू हनुमान को राष्ट्र की ओर से मिले मान सम्मानो पर एक नजर ।  

(1) 1960 मे भारत के ग्रह मन्त्री ने गुरू हनुमान को राष्ट्र गुरू नामक सम्मान से सम्मानित किया था।
(2) 1982 मे राजिस्थान सरकार ने गुरू हनुमान को राजिस्थान श्री नामक सम्मान से सम्मानित किया ।
(3) 1989 मे बिहार सरकार ने गुरू हनुमान को भीष्म पितामह नामक सम्मान से सम्मानित किया ।
(4) 1991 मे महाराष्ट्र सरकार ने गुरू हनुमान को छत्रपति साहू जी महाराज नामक अवार्ड से सम्मानित किया ।
(5) 2014 मे राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरूस्कार प्राप्त हुआ जिसे द्रोणाचार्य महासिंहराव जी और बिडला मिल के प्रेजिडेन्ट रिसीव कर लेकर आये थे ।


कोच रामधन थे गुरू हनुमान की खोज

 कौन कितने पानी मे है गुरू हनुमान जल्द ही पहचान लेते थे । रामधन जी की कौचिगं का कहा जाता है कोई तोड नही था । रामधन पहलवान जी ने जीवन के आखिरी दिनो तक गुरू हनुमान के अखाडे मे अपना सहयोग दिया और कभी भी सहयोग देने से पीछे नही हटे ।



श्री महासिंहराव से था अटूट लगाव 

वर्तमान मे गुरू हनुमान अखाडा मे कोचिगं दे रहे द्रोणाचार्य महासिहं राव से गुरू जी हनुमान का अटूट लगाव रहा यही कारण है। की यही कारण है कि द्रोणाचार्य महासिंह राव के जीवन का बडा हिस्सा गुरू हनुमान अखाडा मे योगदान देने मे बीता है। महासिंह राव आज भी गुरू हनुमान के आगे सुबह सायं हाथ जोडना नही भूलते हहते है कि मेरा भगवान तो गुरू हनुमान ही है। जो भी हू उन्ही की दया से हू


नवीन मोर को बचपन मे ही बता दिया था कि बनेगा बडा पहलवान

बात उन दिनो की है जब नवीन छोटा बच्चा हुया करता था डाक्टर ने बुखार मे गलत इजेक्शन गला दिया तो पैर मे कमी आ गई थी बालक नवीन को गुरू हनुमान अखाडे मे इसलिये भेजा गया था कि पैर ठीक हो जाये और स्वास्थ्य बना  रहे । उस समय बालक नवीन को गुरू हनुमान के द्वारा भविष्य का बडा पहलवान बताया गया था । सब मजाक मे हंस दिये बाद मे गुरू हनुमान की बाणी सच साबित हुई


आज भी गुरू हनुमान अखाडे की मिट्टी कों अपने साथ ले जाते है लोग 

आज भी गुरू हनुमान लोगो के दिलो मे जिन्दा है। यहि कारण है कि लो दूर दराज से आकर इस अखाडे की मिट्टी को अपने साथ ले जाते है। कुछ लोगो का मानना है कि इस अखाडे मिट्टी मे आज भी गुरू हनुमान का आशिर्वाद छिपा हुआ है।

                                                     श्री राज सिंह कोच द्रोणाचार्य।

गुरू हनुमान अखाडा की कमेटी  

गुरु हनुमान अखाड़ा संचालक  -  श्री राज सिंह कोच द्रोणाचार्य।
महासचिव सह संचालक          -  श्री दिलबाग बाग्गे पहलवान जी।
कोषाध्यक्ष                               - श्री रमेश मोर पहलवान जी।
डिप्टी कमांडेंट टीम मैनेजर       - श्री चांद राम पहलवान
उपाध्यक्ष                                 - श्री नवीन मोर पहलवान भारत केसरी



कोचिंग स्टाफ 

श्री महा सिंह राव द्रोणाचार्य चीफ कोच (कोचिगं के बेताज बादशाह )
श्री संदीप राठी पहलवान (D.S.P CRPF) कोच
श्री चरणदास पहलवान , अंतरराष्ट्रीय कोच

रविन्द्र शामली
कुस्स्ती जगत