Monday, June 15, 2020

घुंघट से बॉडीबिल्डिंग तक - प्रिया सिंह


स्वस्थ शरीर के लिये व्ययाम का विशेष महत्व रहा है। व्ययाम करने से शरीर मजबूत आकर्षक और सुडोल दिखाई देता है। प्रतिरोध व्यायाम का उपयोग करके शरीर मांसलता को नियंत्रित एवं विकसित करना शरीर सौष्ठव कहलाता है। अर्थात बॉडीबिल्डिंग कहलाता है। बॉडीबिल्डिंग की बात करे तो इस खेल मे पुरूषो की अधिकता रही है। वर्तमान मे भारतीय महिलाये भी इस खेल मे अपना लोहा मनवा रही है। आयरन लेडी के नाम से विख्यात प्रिया सिंह (बॉडीबिल्डिंग खिलाडी) जो राजिस्थान के बिकानेर से निकलकर पूरे राजिस्थान का नाम रोशन कर रही है। जानते है, प्रिया सिहं से उनके संघर्षो की कहानी ।
रविन्द्र शामली (कुस्ती जगत)

बचपन मे नही सोचा था कि बॉडीबिल्डर  बन जाऊंगी
प्रिया सिंह कहती है कि बचपन मे उन्होने कभी नही सोचा था कि  बॉडीबिल्डर बनूगी एक आम लडकी की भॉति स्कूल जाना और घर आकर घर का काम करना दिनचर्या मे शामिल रहता था । ज्यादातर समय स्कूली पढाई  मे ही बीत जाता था , डर रहता था कि कही नम्बर कम ना आ जाये । इसलिये मै पढाई पर ज्यादा ही ध्यान देती थी।
बॉडीबिल्डिंग की ओर पहला कदम 
बात उन दिनो कि है , मै पढाई के बाद अपने को फिट रखने के लिये जिम जाने लगी थी । हालाकि जिम जाने से पहले मै जिम के बारे मे कुछ ज्यादा नही जानती थी । जिम गई तो जिम जीवन का हिस्सा बन गया ।  धीरे धीरे जिम जाना मेरी दिन चर्या मे शामिल हो गया था  । कुछ दिनो के बाद मैने जिम  ट्रेनर की नौकरी करली  उस समय मुझे मात्र 10000 रू0 महीना मिलते थे । मै खुश थी क्योकि अब जिम जाने का खर्च भी नही देना होता था और 10000 रू0 मिलने भी लगे थे ।
जब लिया बॉडीबिल्डिंग करने का  फैसला 
मै जिम के अन्दर बहुत ही कडी मेहनत किया करती थी । कई सारे लोग मेरी मेहनत को देखते हुये मुझे बॉडीबिल्डिंग करने के लिये प्रेरित किया करते थे । लेकिन मै इन बातो को अनसुना करती रही  कुछ दिनो के बाद मुझे दिल्ली मे एक बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता देखने जाने का मौका मिला प्रतियोगिता मे महिलाओ और पुरूषो बॉडीबिल्डर्स ने  हिस्सा लिया था । स्टेज पर महिला बॉडीबिल्डर्स को भी खूब तालिया और मान सम्मान मिल रहा था । मुझे लगा कि मै यह सब कर सकती हू । स्टेज पर उस समय  बॉडीबिल्डर्स को देख मैने बॉडीबिल्डिंग करने का  फैसला कर लिया था ।
आर्थिक समस्या से पार पाना आसान नही था । 
मैने बॉडीबिल्डिंग करने का फैसला तो कर लिया था लेकिन मै तो सिर्फ 10000 रू0 कमाती थी । मैने सुना था कि खिलाडी की डाईट पर 35 से 40 हजार का खर्च आ जाता है। मैने अपनी समस्या ऑर्गेनाइजर को बताई , तब कई हाथ मदद के लिये मेरी ओर बढे कोच हेमन्त टोगंरिया की मदद और आगे बढने की उनकी  प्रेरणा से कभी पीछे मुडकर नही देखा ।
घुंघट से निकल बिकनी  पहनना मेरे लिये बहुत मुश्किल था  
मै बीकानेर पली बडी हुई , हमारे यहा पर औरतो का परदे मे रहना पसंद किया जाता था । लोग पुराने ख्यालात के साथ ही जीना चहाते थे दूसरी और मै राजिस्थान के लिये  बॉडीबिल्डिंग करना चहाती थी । मेडल जीतना चहाती थी। मै सोचती थी कि देश प्रदेश के लिये कुछ करू जिसे लोग याद करे । यही से मेरा असली संघर्ष शुरू हुआ था ।
जब पहली बार स्टेज पर उतरी 
मै जब पहली बार बॉडीबिल्डिंग करने के लिये स्टेज पर उतरी तो बहुत देंर तक तालिया बजी थी । इतनी तालिया बजी थी जिसकी मुझे उम्मीद भी नही थी। जब लोगो को  पता चला कि मै राजिस्थान से हू तब कई सारे लोग आश्चर्य से मेरे पास आते ,  सैल्फी लेते और कहते अच्छा जी आप राजिस्थान से हो , यह सब इसलिये हो रहा था  क्योकि राजिस्थान से कोई भी महिला बॉडीबिल्डर नही आती थी । क्योकि हमारे यहॉ की पृष्ठभूमि एसी है जहॉ महिलाओ को घूघंट की आड से बहार नही निकलने दिया जाता था ।
मेडल जीतने के बाद हौसला बढता गया 
जब मैने पहली बार बॉडीबिल्डिंग मे मेडल जीता तब मेरी खुश का ठिकाना नही था । मीडिया का मुझे बहुत साथ मिला था । जिसका सकारात्मक असर यह हुआ कि  मै लगातार साल 2018 मे इसके बाद साल 2019 और 2020 मे राजिस्थान की ओर से खेलते हुये मिस राजिस्थान बनी थी। संग्राम क्लासिक प्रतियोगिता मे 4 पोजिशन रही थी । आल इण्डिया स्तर पर मै टोप 20 महिला बॉडी बिल्डरो  मे स्थान बनाने मे कामयाब रही हू। मुझे खुशी है कि मै एक खिलाडी हू ।  
 जब आलोचको को भी देना पडा था जबाब
एक समय एसा भी था जब कई रूढी वादी लोग मुझे कहते थे कि तुम हमारी और प्रदेश की इज्जत खराब कर रही हो । परदे मे रहा करो ,  तब मैने इन लोगो को कहा था कि मै प्रदेश की और से बॉडीबिल्डिंग मे हिस्सा लेती हू । अब सूट सिलवार मे तो मसलस नही दिखये जा सकते , देश की दूसरी महिला खिलाडी है , वे भी कास्टयूम पहनती है। हालाकि बाद मे लोगो का रवैया बदला और कहा गया कि प्रिया सिंह राजिस्थान की शान है। अपने यहा के अखबारो मे भी मैने पढा तब जाकर  लगा कि चलो कुछ तो सोच बदली है।
लोग दूसरे खेल मे जाने की देते थे सलाह 
कई बार लोग मुझे  दूसरे खेल मे हाथ आजमाने की सलाह देते थे , लेकिन मै फैसला कर चुकी थी की अब बॉडीबिल्डिंग ही करनी है।
सफलता का मूल मन्त्र 
एक्सरसाइज , डाइट और आराम इन तीन चीजों को प्रिया सिंह  किसी भी खेल के लिये सफलता का मूल मन्त्र मानती है। इनमे से किसी एक में भी अगर कमी हो तो असर पूरे शरीर पर पड़ता है । बॉडी वेट के प्रतिकिलो पर दो से ढाई ग्राम प्रोटीन और आठ घंटे की नींद अच्छे शरीर की बेसिक जरूरत बताती  है।
लगातार की गयी मेहनत रंग लाती है। 
प्रिया सिंह कहती है कि किसी भी खेल मे लगातार की गयी मेहनत अपना रंग दिखाती है। अपने बारे मे प्रिया सिंह कहती है कि मै कॉम्पिटिशन से कई महीने पहले  6 - 6 घंटे वर्कआउट करती हू । जब कॉम्पिटिशन नही होता तो 1 से 2 घंटे मे भी काम चल जाता है। हर महीने डाईट पर 30000 से 35000 तक का खर्च आ जाता है।

भविष्य की योजना
भविष्य की योजना के बारे मे प्रिया सिंह कहती है कि अब एक ही सपना बचा हुआ है , कि मै दूसरे देशो मे जाकर देश के लिये बॉडीबिल्डिंग मे मेडल जीतकर लाऊ ।  

मान सम्मान 
1- राजिस्थान की पहली महिला बॉडीबिल्डिंग खिलाडी होने का गौरव प्राप्त है।
2-राजिस्थान की महिला फिटनेश आईकन होने का गौरव प्राप्त है।
3- राजिस्थान गौरव अवार्ड
4- राजधानी गौरव अवार्ड
5- नारी शक्ति अवार्ड
6- पिकं रत्न अवार्ड
7- नेशनल अर्थ केयर अवार्ड