साक्षात्कार
रविन्द्र सिंह - ऐसी कोई बात बताईये जिसको सोचकर ही सकून महसूस होता हो ?अशोक वशिष्ट---- (हसते हुये ) मै भारतीय पहलवानी की जड गुरू चिरंजी का पोता हू रूस्तमे हिन्द पहलवान परसाराम जी का पूत्र हू मेरे चाचा पुरूषोत्तम जी अपने समय के नामचीन पहलवान रहे है। मुझे जन्म ही परमात्मा ने ऐसे परिवार मे दिया जो परिवार पहलवानी से पहले से ही जुडा था l ये मेरे लिये गर्व की बात है। मुझे ये सोचकर भी सूकून होता है। मै आभारी हू प्रमात्मा का कि मुझे ऐसे परिवार मे जन्म दिया ।
रविन्द्र सिंह - कुस्ती को जिन्दा रखने के लिये किन कदमो का उठाया जाना आवश्यक है ?
अशोक वशिष्ट---- आज के दौर मे पहलवानी बहुत महगां खेल हो गया है। जिस प्रकार से पहले पुराने दौर मे राजा महाराजओ के यहॉ पहलवान होते थे राजा लोग खर्च उठाते थे आज उसी तर्ज पर चेयरमैनो , मेयरो , विधायको सांसदो , उदयोगपतियो को पहलवानो को गोद लेना चहिये । जिससे आर्थिक तंगी की वजह से किसी अच्छे पहलवान का कैरियर समाप्त ना हो यदि ऐसा होता है तो कुस्ती क्या पूरे खेल जगत मे क्रान्ति आ जायेगी ।
रविन्द्र सिंह - मिट्टी और गद्दे की कुस्ती को आप किस अंदाज मे देखते हो ?
अशोक वशिष्ट---- मिट्टी की कुस्ती पहलवानी का बचपन है और गद्दे की कुस्ती पहलवानी की जवानी है।
रविन्द्र सिंह - आपकी कुस्ती के क्षेत्र मे प्रथम प्राथमिकता क्या है ?
अशोक वशिष्ट---- मेरी प्रथम प्राथमिकता है मिट्टी की कुस्ती को बचाकर रखना , छोटे बच्चो पर भी ध्यान देना , देखिये गॉव देहात मे हर जगह तो मैट नही होते हर अखाडे मे मैट उपलब्ध नही है औरो की क्या बात करे मेरे पास उपलब्ध नही है। ज्यादातर पहलवान गॉव खेडो देहात से ही निकलकर आते है जो सुरूवात मे मिट्टी मे ही अभ्यास करते है और बडे अखाडो मे पहुचते है नाम रोशन करते है।
रविन्द्र सिंह - गुरू चिरंजी वययामशाला हो मास्टर चंदकीराम जी का अखाडा हो जमुना के किनारे बनाये गये है। कोई खास वजह ?
अशोक वशिष्ट---- वजह जिससे जमुना के किनारे पहलवान दौड लगा सके वातावरण अच्छा मिल सके इन्ही बातो का ध्यान रख हमारे बडो ने इन अखाडो का निर्माण जमुना किनारे किया था ।
रविन्द्र सिंह - वर्तमान मे आप किस पहलवान से प्रभावित है ?
अशोक वशिष्ट---- वर्तमान मे मै मास्टर चंदकीराम जी के लडके जगदीश कालीरमण पहलवान जी से बेहद प्रभावित हू उन्होंने अखाडे मे लड़कियों के लिये बडी शानदार व्यवस्था की है। कम शब्दो मे कहु तो जगदीश ने अपनी कार्यशैली से मास्टर चन्दकीराम अखाडे को चार चॉद लगा दिये है। जगदीश पहलवान मेरी आज भी उतनी ही इज्जत करता है जितनी उनके पिताजी मास्टर जी चन्दकीराम जी मेरे दादा और पिताजी की किया करते थे । वास्तव मे जगदीश को आदमी की पहचान है।
रविन्द्र सिंह - आप दंगल करवाते है। छोटे बच्चो को कुस्ती सिखाते है। नौकरी की डयूटी के बाद का आपका सारा समय ऐसे ही बीत जाता है। आपकी पत्नी आपको मना नही करती ?
अशोक वशिष्ट---- (हसते हुये ) नही ये कभी मना नही करती मेरी समय समय पर मदद ही करती है।
रविन्द्र सिंह - आपकी नजर मे किसी पहलवान के पतन का मुख्य कारण क्या है?
अशोक वशिष्ट---- अनुशासन की कमी , आशकी और बदमाशी , आर्थिक स्थिति चौथे नम्बर पर
रविन्द्र सिंह - छोटे बच्चो की डाईट कैसी हो आपकी नजर मे ?
अशोक वशिष्ट---- पनीर ,दूध, दही, दाले ,हरी शब्जी ,फल ,जुश ,बदाम ,मुनाक्खा ,सुरूवात मे बच्चो को यही चीजे देनी चहिये ।
रविन्द्र सिंह - पहलवानी और अशोक वशिष्ट (आप) का कैसा रिस्ता है ?
अशोक वशिष्ट---- पहलवानी मेरे बगैर भी चलेगी सब काम होगे लेकिन मै पहलवानी के बैर नही रह सकता l
रविन्द्र सिंह - आगे क्या योजना है ?
अशोक वशिष्ट---- आज तक निस्वार्थ भाव से कुस्ती के लिये काम किया है। कुस्ती की जडे मेरे खून मे बसी है। आगे भी तन मन धन से जो सहयोग होगा वो करूगा दिन हो या रात हर समय तैयार मिलूगॉ l
समाप्त
साक्षात्कार कर्ता
llरविन्द्र सिंह ऊण शामली ll
कुस्ती जगत ब्यूरो चीफ
(उत्तर प्रदेश)