चौधरी युधिष्ठिर पहलवान
पचैण्डा कला का इतिहास
उत्तर प्रदेश मे एक गॉव है। जिसको पचैण्डा कला के नाम से जाना जाता है। यह गॉव जिला मुजाफ्फरनगर के पास मे स्थित है। हजारो साल पुराने इस गॉव का इतिहास देखे तो यह गॉव महाभारत काल से अपना इतिहास समेटे हुये है। कहा जाता है कि यहॉ पर महाभारत काल मे भी कुस्ती का एक अखाडा हुआ करता था । उस अखाडे मे पॉच हजार साल पहले पॉचो पाण्डव युधिष्ठिर , भीम , अर्जुन , नकुल सहदेव भी आये थे । जिसके बाद से ही इस गॉव को पचैण्डा के नाम से जाना जाने लगा था ।
पहलवान युधिष्ठिर के परिवार पर एक नजर
अपने इतिहास और गॉव से अपार लगाव होने के चलते इस गॉव के चौधरी धर्मबीर सिंह ने अपने पॉच बेटो के नाम महाभारत के पाण्डवो के नाम पर रख दिये थे । चौधरी धर्मबीर सिंह पूर्व प्रधान ने अपने सबसे बडे बेटे का नाम अर्जुन , दूसरे बेटे का नाम भीम , तीसरे बेटे का नाम नकुल , चौथे बेटे का नाम शहदेव और पॉचवे बेटे का नाम युधिष्ठिर रखा था । चौधरी धर्मबीर सिंह ने अपनी सबसे बडी बेटी का नाम कामेश रख दिया था । चौधरी धर्मबीर सिंह अपने तीन भाईयो मे से एक है। धर्मबीर सिंह के एक भाई का नाम अजब सिंह व दूसरे भाई का नाम मॉगेराम है। चौधरी धर्मबीर सिंह के पिता श्री रघुबीर सिंह भी अपने समय मे पहलवान रहे है।
चौधरी धर्मबीर की मॉ हुशयारी देवी भी पहलवान परिवार से नाता रखती है। हुशयारी देवी मीरापुर दलपत ग्राम (जानसठ के निकट) के जाने माने पहलवान चौधरी मलखान सिंह की पुत्री थी ।
गुरू हनुमान अखाडे की शरण मे युधिष्ठिर
चौधरी धर्मबीर सिंह के छोटे बेटे युधिष्ठिर साल 1995 मे गुरू हनुमान अखाडे मे पहलवानी सीखने के लिये गये । युधिष्ठिर के साथ भाई (चाचा मांगेराम का लडका ) अरूण भी गुरू हनुमान अखाडे मे रहकर पहलवानी किया करता था । युधिष्ठिर पहलवान नेशनल लड चुके थे । लेकिन युधिष्ठिर का कुछ दिन बाद गम्भीर ऐक्सिडेन्ट हो गया था । जिससे उनकी पहलवानी प्रभावित होनी स्वभाविक थी ।
दो राहे पर युधिष्ठिर पहलवान
कुछ ही दिन बीते थे कि पहलवान युधिष्ठिर के भाई अरूण (मागेराम चाचा के लडके ) की दो सूटरो ने गोलियॉ बरसाकर हत्या करदी थी उन दोनो सूटरो को गॉव वालो ने मौके पर पकडकर मार डाला था। लेकिन जिसने हत्या कराई थी। वह युधिष्ठिर के गॉव का ही एक व्यक्ति था । जो बाद मे मारा गया था । उस केस मे पहलवान युधिष्ठर व पहलवान युधिष्ठर के अन्य भाईयो के खिलाफ नामजद रिपोर्ट हो गई । युधिष्ठिर को भी भाईयो के साथ जेल जाना पडा कोई पैरवी करने वाला ना होने के चलते पहलवान युधिष्ठिर जेल मे न्याय ना मिलने के कारण परेशान हो उठे थे । एक दिन जेल मे एक घटना घटी पहलवान युधिष्ठिर को सपने मे शिव शंकर भोले नाथ ने दर्शन दिये और कहा कि जेल से निकल युधिष्ठिर तुझे तो खेल के क्षेत्र मे बहुत कार्य करने है। सपने मे दिखाई दिये भोले नाथ से प्रभावित हो पेशी पर जाते वक्त भोला भाला पहलवान युधिष्ठिर पुलिस वालो से छूटकर भाग गया । यह खबर आग की तरह फैली जिसके परिणाम स्वरूप पहलवान युधिष्ठिर पर 50000 हजार रू0 का इनाम पुलिस की ओर से रख दिया गया जब यह खबर पहलवान युधिष्ठिर ने पढी तो पहलवान युधिष्ठिर को बहुत दुख हुआ । हालातो की मार ने युधिष्ठिर पर बदमाशी का ठप्पा जो लगा दिया था ।
पहलवान युधिष्ठिर का जेल मे सरेण्डर
युधिष्ठिर का जेल मे किरदार एक जमाने के सुपर स्टार धमेन्द्र की तरह था । धर्मेन्द्र सहाब कैमरे के सामने फिल्मो मे किरदार निभाते थे । किरदार मे सब कुछ नकली होता था , लेकिन युधिष्ठिर जो करता था वो सच होता था । युधिष्ठिर गुरू हनुमान के शिष्यो मे से एक है। जब पहलवान युधिष्ठिर के भाई जेल से बहार आये तब युधिष्ठिर ने आत्म समर्पण कर दिया । जब जेलर को किसी ने बताया की पहलवान जी बहुत खतरनाक आदमी है। यही कारण था कि युधिष्ठिर को बहुत कडी सिक्योरिटी मे रखा गया था । युधिष्ठिर यह सब देखकर आश्चर्यचकित था कि यह हो क्या रहा है। क्योकि युधिष्ठिर अपने को एक आम इन्सान मानता था जबकि अधिकरी लोगो की नजरो मे युधिष्ठिर एक हिस्टरी सीटर था । एक दिन पहलवान युधिष्ठिर ने जेलर से मिलने की इच्छा जताई । युधिष्ठिर की इच्छा को जेलर ने गम्भीरता से लिया और युधिष्ठिर से बात की, युधिष्ठिर ने सारी बाते जेलर को बताई तथा अपने आपको आन्तकवदियो की तरह रखे जाने पर नाराजगी भी जताई । इसके बाद जेलर ने भी पहलवान के अन्दर के नरम दिल इंसान को पहचान ने मे देर ना लगाई । पहलवान युधिष्ठिर से पूछा गया कि कैसी जगह रहना चहाते हो , तो युधिष्ठिर ने एकान्त मे तनहाई की मांग की जिसे मान लिया गया । युधिष्ठिर को एकान्त मे तनहाई दे दी गई
असहाय के लिये जेल मे देवता बने युधिष्ठिर
जेल मे एक बाप और बेटा किसी केस मे बन्द थे जेल मे बन्द हट्टे कट्टे युधिष्ठिर को हर कोई एक बार देखकर चलता था । कई बार किसी की जब जेल मे नही सुनी जाती थी तो वो युधिष्ठिर से आश लगा लेता था । जेल मे बन्द युधिष्ठिर कई बार लोगो की समस्या को देख स्वम दुखी हो जाता था । एक दिन जेल मे बन्द एक लडके ने युधिष्ठर के आकर पैर पकड लिये और रोने लगा , लडके ने कहा कि मेरा बाप यही पर बन्द है। डाक्टर ना तो सही से इलाज कर रहा और ना ही बहार इलाज करवाने के लिये लिखकर दे रहा है। लडके के पिता की उम्र 60 साल के आस पास थी । बाप बेटे की लाचारी को देखकर युधिष्ठिर ने खूब गुहार लगाई लेकिन आज शाम तक बहार इलाज की प्रमीशन देगे या कल शाम तक बहार इलाज के लिये प्रामीशन देगे जैसे आशवासन मिलते रहे । एक दिन बुढे बाप के बेटे ने युधिष्ठिर को जगाया और रोते हुये बताया की मेरा बाप मर गया पहलवान जी , युधिष्ठिर को बहुत दुख हुआ । अगले ही दिन युधिष्ठिर पहलवान की पेशी थी जैसे ही पुलिस कर्मी युधिष्ठिर को पेशी पर ले जाने लगे तो सामने से डाक्टर आ गया । युधिष्ठिर ने डाक्टर को धप्पड मार दिया और पूछा की उस बुढे व्यक्ति को जिन्दा करने की ओकात है जो तेरी वजह से मारा गया , लेकिन डाक्टर युधिष्ठिर को देख लेने की धमकी देने लगा , युधिष्ठिर ने डाक्टर को पकडकर लात घुस्सो से कुत्ते की तरह पीटा छूट छुटा हो गई डाक्टर ने एक मुकदमा युधिष्ठिर पर कर दिया । दूसरी और उस बृद्ध के बेटे ने अधिकारीयो के सामने युधिष्ठिर को साक्षात देवता बताया था ।
पहलवान युधिष्ठिर के जेल मे रिसर्च -ः
पहलवान युधिष्ठिर जेल मे रहते हुये मानशिक तनाव से बचने के लिये अपने आपको व्यस्त रखते थे । पहलवान जी ने देखा की जेल मे कुछ मानशिक रोगी भी बन्द है। पहलवान जी ने इस विषय पर रिसर्च सुरू किया और पाया की ये लोग शहर मे लोगो को प्रेशान करते थे , लोगो ने शिकायत की तो पुलिस ने यहॉ बन्द कर दिया पहलवान जी इन लोगो को खाने की चीजे देने लगे फिर खेल के नाम पर इनसे पीटी कराने लगे , दौड कराने लगे ऐसा करने पर जो लोग मानसिक समस्या से जूझ रहे थे । उन्हे भूख लगने लगी और थककर नीदं आने लगी , कई लोग ठीक होने लगे । युधिष्ठिर के इस चमत्कार का जेल प्रशासन कायल हो गया । इस चमत्कार का ही असर था कि युधिष्ठिर को डी0 आई 0जी0 पाण्डे और जेलर ने जेल के अन्दर सम्मानित किया था ।
न्यायाल्य मे युधिष्ठिर ने स्वम करी थी अपनी बहस
जिस न्यायाल्य मे पहलवान युधिष्ठिर के मुकदमे की बहस चला करती वहॉ पर रमा जैन नाम की महिला जज हुआ करती थी । ये बाते साल 2013 की है। युधिष्ठिर ने अपने मुकदमे मे स्वम बहस करने की अनुमति मागी थी , युधिष्ठिर को इजाजत दी गई , भरी अदालत मे पहलवान युधिष्ठिर ने चीख चीखकर अपने हालतो और घटनाओ से जज को रूबरू करवाया साथ ही यह थी बताया कि मै कोई बदमास नही खिलाडी हू , मुझे जबरदस्ती बदमाश बनाया जा रहा है। मै बदमाश नही बनना चहाता । पुलिस से छूटकर भागने के सावल पर युधिष्ठिर का कहना था कि मै परिवार की पैरवी के लिये भागा था । आज सरेण्डर भी कर दिया है। जेल से छूटने के बाद युधिष्ठिर ने जज को अखाडा चलाने की बात कही थी। युधिष्ठिर आज भी अपनी बात पर कायम है। और अपने अखाडे और समाज सेवा को माध्यम बनाकर युवाओ का भविष्य बनाने मे जुटे है।
युधिष्ठिर का सच्चा प्यार
समय के साथ साथ जेल का अध्याय बन्द हो गया युधिष्ठिर पहलवान ने अपने अखाडे पर सकारात्मक कार्य सुरू कर दिया था । दूसरी और जेल मे युधिष्ठिर की चर्चा होती थी कई अधिकारी कहते कि क्या शानदार लडका था । जेल मे रहते हुये भी जेल के अन्दर कितना सुधार कर गया । एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की बेटी डा0 मोनिका सिंह (इण्टर कॉलिज मे लेकचरार) ने भी युधिष्ठिर की बहादुरी के कई किस्से सुन रखे थे । एक बार इत्फाक से डाक्टर मोनिका सिंह की मुलाकात पहलवान युधिष्ठिर से हुई ऑख मिली और दिल धडका , दोने के दिलो मे प्यार के अंकुर फूटने लगे , दूसरी और डा0 मोनिका सिंह के लिये कई इंजीनियर और डाक्टर के रिस्ते आया करते थे । लेकिन डाक्टर मोनिका सिंह ने सभी डाक्टर , इंजीनियरस के आये रिस्तो को कैंसिल कर दिया था । क्योकि मोनिका सिंह युधिष्ठिर को पसंद करने लगी थी । युधिष्ठिर पहलवान ने डा0 मोनिका सिंह के साथ साल 2016 मे शादी कर ली थी। सायद युधिष्ठिर और मोनिका सिंह एक दूसरे के लिये ही बने थे । डाक्टर मोनिका सिंह का कहना था कि युधिष्ठिर जितने गुण किसी मे आसानी से नही मिलते । चौधरी युधिष्ठिर कहते है कि प्यार किया तो डरना क्या, या तो किसी से प्यार ना करो , यदि करो तो तो फिर उससे शादी करो ।
युधिष्ठिर की पत्नी डाक्टर मोनिका सिंह -
डाक्टर मोनिका सिंह का जन्म 30 जून सन् 1986 को बिजनोर जनपद मे श्री धर्म सिंह (डिप्टी एसपी)के घर मे हुआ था । डाक्टर मोनिका सिंह समाज सेवा के साथ साथ राजनिति मे भी सरोकार रखती है। डाक्टर मोनिका सिंह एक पढी लिखी महीला है। जो एम0 ए0 , बी0एड0, पी0एच0डी0 , और नैट पास है। डाक्टर मोनिका सिंह 2013 मे पी0सी0एस0 का प्री टेस्ट भी क्वालीफाई कर चुकी है। यही नही डाक्टर मोनिका सिंह पढाई के क्षेत्र मे झण्डे गाडने के अलावा वॉलीवाल की राष्टीय चैम्पियन रह चुकी है। डाक्टर मोनिका सिंह को बचपन से ही राजनितिक लगाव रहा है। डाक्टर मोनिका सिहं शिक्षक नेता के रूप मे अपनी पहचान बनाने के साथ साथ 2014 मे एम0 एल0 सी0 का चुनाव लड चुकी है। वर्तमान मे मोनिका सिंह भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता है। अपने पति युधिष्ठिर के साथ साथ मोनिका सिंह का समाज सेवा मे बडा योगदान रहता है। यही नही मोनिका सिंह उत्तर प्रदेश मे महिला विंग अखिल भारतीय विमुक्त एवं घुमन्तु जाति वेलफेयर संघ की अध्यक्ष है और गॉव पचैण्डा कला मे शहीद बचन सिंह व स्वर्गीय अरूण पहलवान अखाडा की उपाध्यक्ष है। जानसठ इण्टर कॉलिज मे लेक्चरार है।
डाक्टर मोनिका सिंह का सपना
डाक्टर मोनिका सिंह का सपना है कि देश से जातिवाद पूर्णतः समाप्त हो सभी को एक सी समानता समाज और कानून की नजरो मे प्राप्त हो । क्योकि जातिवाद समाज की जडो को खोखला करने का काम करता है। यदि जातिवाद समाप्त हो जाये तो देश और ज्यादा तरक्की कर सकता है।
पहलवान युधिष्ठिर और उनकी पत्नी डाक्टर मोनिका सिंह मे कूट कूट कर भरी है समाज सेवा
ग्राम पचैण्डा कला मे पहलवान युधिष्ठिर की लग्न और परिश्रम से शहीद बचन सिंह व स्वर्गीय अरूण पहलवान नामक अखाडा उचाईया छू रहा है। इस अखाडे को इस उचाई पर ले जाने मे पहलवान युधिष्ठिर को बहुत पापड बेलने पडे है। अखाडा साई से अडोप हो चुका है। मैट, जिम , मिट्टी का अखाडा जैसी सभी सुविधाये मौजूद है। लडकियो के लिये अलग होस्टल पर काम चल रहा है। इस अखाडे के अध्यक्ष युधिष्ठिर के बडे भाई चौधरी अर्जुन पहलवान है। अखाडे का संचालन पहलवान जी युधिष्ठिर के चाचा श्री मांगेराम जी करते है। पहलवान युधिष्ठिर की पत्नी डा0 मोनिका सिंह इस अखाडा की उपाध्यक्ष है। जो समाज के उज्जवल भविष्य के लिये समाज सेवा मे लगातार प्रायत्नशील रहती है।
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत
पचैण्डा कला का इतिहास
उत्तर प्रदेश मे एक गॉव है। जिसको पचैण्डा कला के नाम से जाना जाता है। यह गॉव जिला मुजाफ्फरनगर के पास मे स्थित है। हजारो साल पुराने इस गॉव का इतिहास देखे तो यह गॉव महाभारत काल से अपना इतिहास समेटे हुये है। कहा जाता है कि यहॉ पर महाभारत काल मे भी कुस्ती का एक अखाडा हुआ करता था । उस अखाडे मे पॉच हजार साल पहले पॉचो पाण्डव युधिष्ठिर , भीम , अर्जुन , नकुल सहदेव भी आये थे । जिसके बाद से ही इस गॉव को पचैण्डा के नाम से जाना जाने लगा था ।
पहलवान युधिष्ठिर के परिवार पर एक नजर
अपने इतिहास और गॉव से अपार लगाव होने के चलते इस गॉव के चौधरी धर्मबीर सिंह ने अपने पॉच बेटो के नाम महाभारत के पाण्डवो के नाम पर रख दिये थे । चौधरी धर्मबीर सिंह पूर्व प्रधान ने अपने सबसे बडे बेटे का नाम अर्जुन , दूसरे बेटे का नाम भीम , तीसरे बेटे का नाम नकुल , चौथे बेटे का नाम शहदेव और पॉचवे बेटे का नाम युधिष्ठिर रखा था । चौधरी धर्मबीर सिंह ने अपनी सबसे बडी बेटी का नाम कामेश रख दिया था । चौधरी धर्मबीर सिंह अपने तीन भाईयो मे से एक है। धर्मबीर सिंह के एक भाई का नाम अजब सिंह व दूसरे भाई का नाम मॉगेराम है। चौधरी धर्मबीर सिंह के पिता श्री रघुबीर सिंह भी अपने समय मे पहलवान रहे है।
चौधरी धर्मबीर की मॉ हुशयारी देवी भी पहलवान परिवार से नाता रखती है। हुशयारी देवी मीरापुर दलपत ग्राम (जानसठ के निकट) के जाने माने पहलवान चौधरी मलखान सिंह की पुत्री थी ।
गुरू हनुमान अखाडे की शरण मे युधिष्ठिर
चौधरी धर्मबीर सिंह के छोटे बेटे युधिष्ठिर साल 1995 मे गुरू हनुमान अखाडे मे पहलवानी सीखने के लिये गये । युधिष्ठिर के साथ भाई (चाचा मांगेराम का लडका ) अरूण भी गुरू हनुमान अखाडे मे रहकर पहलवानी किया करता था । युधिष्ठिर पहलवान नेशनल लड चुके थे । लेकिन युधिष्ठिर का कुछ दिन बाद गम्भीर ऐक्सिडेन्ट हो गया था । जिससे उनकी पहलवानी प्रभावित होनी स्वभाविक थी ।
दो राहे पर युधिष्ठिर पहलवान
कुछ ही दिन बीते थे कि पहलवान युधिष्ठिर के भाई अरूण (मागेराम चाचा के लडके ) की दो सूटरो ने गोलियॉ बरसाकर हत्या करदी थी उन दोनो सूटरो को गॉव वालो ने मौके पर पकडकर मार डाला था। लेकिन जिसने हत्या कराई थी। वह युधिष्ठिर के गॉव का ही एक व्यक्ति था । जो बाद मे मारा गया था । उस केस मे पहलवान युधिष्ठर व पहलवान युधिष्ठर के अन्य भाईयो के खिलाफ नामजद रिपोर्ट हो गई । युधिष्ठिर को भी भाईयो के साथ जेल जाना पडा कोई पैरवी करने वाला ना होने के चलते पहलवान युधिष्ठिर जेल मे न्याय ना मिलने के कारण परेशान हो उठे थे । एक दिन जेल मे एक घटना घटी पहलवान युधिष्ठिर को सपने मे शिव शंकर भोले नाथ ने दर्शन दिये और कहा कि जेल से निकल युधिष्ठिर तुझे तो खेल के क्षेत्र मे बहुत कार्य करने है। सपने मे दिखाई दिये भोले नाथ से प्रभावित हो पेशी पर जाते वक्त भोला भाला पहलवान युधिष्ठिर पुलिस वालो से छूटकर भाग गया । यह खबर आग की तरह फैली जिसके परिणाम स्वरूप पहलवान युधिष्ठिर पर 50000 हजार रू0 का इनाम पुलिस की ओर से रख दिया गया जब यह खबर पहलवान युधिष्ठिर ने पढी तो पहलवान युधिष्ठिर को बहुत दुख हुआ । हालातो की मार ने युधिष्ठिर पर बदमाशी का ठप्पा जो लगा दिया था ।
पहलवान युधिष्ठिर का जेल मे सरेण्डर
युधिष्ठिर का जेल मे किरदार एक जमाने के सुपर स्टार धमेन्द्र की तरह था । धर्मेन्द्र सहाब कैमरे के सामने फिल्मो मे किरदार निभाते थे । किरदार मे सब कुछ नकली होता था , लेकिन युधिष्ठिर जो करता था वो सच होता था । युधिष्ठिर गुरू हनुमान के शिष्यो मे से एक है। जब पहलवान युधिष्ठिर के भाई जेल से बहार आये तब युधिष्ठिर ने आत्म समर्पण कर दिया । जब जेलर को किसी ने बताया की पहलवान जी बहुत खतरनाक आदमी है। यही कारण था कि युधिष्ठिर को बहुत कडी सिक्योरिटी मे रखा गया था । युधिष्ठिर यह सब देखकर आश्चर्यचकित था कि यह हो क्या रहा है। क्योकि युधिष्ठिर अपने को एक आम इन्सान मानता था जबकि अधिकरी लोगो की नजरो मे युधिष्ठिर एक हिस्टरी सीटर था । एक दिन पहलवान युधिष्ठिर ने जेलर से मिलने की इच्छा जताई । युधिष्ठिर की इच्छा को जेलर ने गम्भीरता से लिया और युधिष्ठिर से बात की, युधिष्ठिर ने सारी बाते जेलर को बताई तथा अपने आपको आन्तकवदियो की तरह रखे जाने पर नाराजगी भी जताई । इसके बाद जेलर ने भी पहलवान के अन्दर के नरम दिल इंसान को पहचान ने मे देर ना लगाई । पहलवान युधिष्ठिर से पूछा गया कि कैसी जगह रहना चहाते हो , तो युधिष्ठिर ने एकान्त मे तनहाई की मांग की जिसे मान लिया गया । युधिष्ठिर को एकान्त मे तनहाई दे दी गई
असहाय के लिये जेल मे देवता बने युधिष्ठिर
जेल मे एक बाप और बेटा किसी केस मे बन्द थे जेल मे बन्द हट्टे कट्टे युधिष्ठिर को हर कोई एक बार देखकर चलता था । कई बार किसी की जब जेल मे नही सुनी जाती थी तो वो युधिष्ठिर से आश लगा लेता था । जेल मे बन्द युधिष्ठिर कई बार लोगो की समस्या को देख स्वम दुखी हो जाता था । एक दिन जेल मे बन्द एक लडके ने युधिष्ठर के आकर पैर पकड लिये और रोने लगा , लडके ने कहा कि मेरा बाप यही पर बन्द है। डाक्टर ना तो सही से इलाज कर रहा और ना ही बहार इलाज करवाने के लिये लिखकर दे रहा है। लडके के पिता की उम्र 60 साल के आस पास थी । बाप बेटे की लाचारी को देखकर युधिष्ठिर ने खूब गुहार लगाई लेकिन आज शाम तक बहार इलाज की प्रमीशन देगे या कल शाम तक बहार इलाज के लिये प्रामीशन देगे जैसे आशवासन मिलते रहे । एक दिन बुढे बाप के बेटे ने युधिष्ठिर को जगाया और रोते हुये बताया की मेरा बाप मर गया पहलवान जी , युधिष्ठिर को बहुत दुख हुआ । अगले ही दिन युधिष्ठिर पहलवान की पेशी थी जैसे ही पुलिस कर्मी युधिष्ठिर को पेशी पर ले जाने लगे तो सामने से डाक्टर आ गया । युधिष्ठिर ने डाक्टर को धप्पड मार दिया और पूछा की उस बुढे व्यक्ति को जिन्दा करने की ओकात है जो तेरी वजह से मारा गया , लेकिन डाक्टर युधिष्ठिर को देख लेने की धमकी देने लगा , युधिष्ठिर ने डाक्टर को पकडकर लात घुस्सो से कुत्ते की तरह पीटा छूट छुटा हो गई डाक्टर ने एक मुकदमा युधिष्ठिर पर कर दिया । दूसरी और उस बृद्ध के बेटे ने अधिकारीयो के सामने युधिष्ठिर को साक्षात देवता बताया था ।
पहलवान युधिष्ठिर के जेल मे रिसर्च -ः
पहलवान युधिष्ठिर जेल मे रहते हुये मानशिक तनाव से बचने के लिये अपने आपको व्यस्त रखते थे । पहलवान जी ने देखा की जेल मे कुछ मानशिक रोगी भी बन्द है। पहलवान जी ने इस विषय पर रिसर्च सुरू किया और पाया की ये लोग शहर मे लोगो को प्रेशान करते थे , लोगो ने शिकायत की तो पुलिस ने यहॉ बन्द कर दिया पहलवान जी इन लोगो को खाने की चीजे देने लगे फिर खेल के नाम पर इनसे पीटी कराने लगे , दौड कराने लगे ऐसा करने पर जो लोग मानसिक समस्या से जूझ रहे थे । उन्हे भूख लगने लगी और थककर नीदं आने लगी , कई लोग ठीक होने लगे । युधिष्ठिर के इस चमत्कार का जेल प्रशासन कायल हो गया । इस चमत्कार का ही असर था कि युधिष्ठिर को डी0 आई 0जी0 पाण्डे और जेलर ने जेल के अन्दर सम्मानित किया था ।
न्यायाल्य मे युधिष्ठिर ने स्वम करी थी अपनी बहस
जिस न्यायाल्य मे पहलवान युधिष्ठिर के मुकदमे की बहस चला करती वहॉ पर रमा जैन नाम की महिला जज हुआ करती थी । ये बाते साल 2013 की है। युधिष्ठिर ने अपने मुकदमे मे स्वम बहस करने की अनुमति मागी थी , युधिष्ठिर को इजाजत दी गई , भरी अदालत मे पहलवान युधिष्ठिर ने चीख चीखकर अपने हालतो और घटनाओ से जज को रूबरू करवाया साथ ही यह थी बताया कि मै कोई बदमास नही खिलाडी हू , मुझे जबरदस्ती बदमाश बनाया जा रहा है। मै बदमाश नही बनना चहाता । पुलिस से छूटकर भागने के सावल पर युधिष्ठिर का कहना था कि मै परिवार की पैरवी के लिये भागा था । आज सरेण्डर भी कर दिया है। जेल से छूटने के बाद युधिष्ठिर ने जज को अखाडा चलाने की बात कही थी। युधिष्ठिर आज भी अपनी बात पर कायम है। और अपने अखाडे और समाज सेवा को माध्यम बनाकर युवाओ का भविष्य बनाने मे जुटे है।
युधिष्ठिर का सच्चा प्यार
समय के साथ साथ जेल का अध्याय बन्द हो गया युधिष्ठिर पहलवान ने अपने अखाडे पर सकारात्मक कार्य सुरू कर दिया था । दूसरी और जेल मे युधिष्ठिर की चर्चा होती थी कई अधिकारी कहते कि क्या शानदार लडका था । जेल मे रहते हुये भी जेल के अन्दर कितना सुधार कर गया । एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की बेटी डा0 मोनिका सिंह (इण्टर कॉलिज मे लेकचरार) ने भी युधिष्ठिर की बहादुरी के कई किस्से सुन रखे थे । एक बार इत्फाक से डाक्टर मोनिका सिंह की मुलाकात पहलवान युधिष्ठिर से हुई ऑख मिली और दिल धडका , दोने के दिलो मे प्यार के अंकुर फूटने लगे , दूसरी और डा0 मोनिका सिंह के लिये कई इंजीनियर और डाक्टर के रिस्ते आया करते थे । लेकिन डाक्टर मोनिका सिंह ने सभी डाक्टर , इंजीनियरस के आये रिस्तो को कैंसिल कर दिया था । क्योकि मोनिका सिंह युधिष्ठिर को पसंद करने लगी थी । युधिष्ठिर पहलवान ने डा0 मोनिका सिंह के साथ साल 2016 मे शादी कर ली थी। सायद युधिष्ठिर और मोनिका सिंह एक दूसरे के लिये ही बने थे । डाक्टर मोनिका सिंह का कहना था कि युधिष्ठिर जितने गुण किसी मे आसानी से नही मिलते । चौधरी युधिष्ठिर कहते है कि प्यार किया तो डरना क्या, या तो किसी से प्यार ना करो , यदि करो तो तो फिर उससे शादी करो ।
युधिष्ठिर की पत्नी डाक्टर मोनिका सिंह -
डाक्टर मोनिका सिंह का जन्म 30 जून सन् 1986 को बिजनोर जनपद मे श्री धर्म सिंह (डिप्टी एसपी)के घर मे हुआ था । डाक्टर मोनिका सिंह समाज सेवा के साथ साथ राजनिति मे भी सरोकार रखती है। डाक्टर मोनिका सिंह एक पढी लिखी महीला है। जो एम0 ए0 , बी0एड0, पी0एच0डी0 , और नैट पास है। डाक्टर मोनिका सिंह 2013 मे पी0सी0एस0 का प्री टेस्ट भी क्वालीफाई कर चुकी है। यही नही डाक्टर मोनिका सिंह पढाई के क्षेत्र मे झण्डे गाडने के अलावा वॉलीवाल की राष्टीय चैम्पियन रह चुकी है। डाक्टर मोनिका सिंह को बचपन से ही राजनितिक लगाव रहा है। डाक्टर मोनिका सिहं शिक्षक नेता के रूप मे अपनी पहचान बनाने के साथ साथ 2014 मे एम0 एल0 सी0 का चुनाव लड चुकी है। वर्तमान मे मोनिका सिंह भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता है। अपने पति युधिष्ठिर के साथ साथ मोनिका सिंह का समाज सेवा मे बडा योगदान रहता है। यही नही मोनिका सिंह उत्तर प्रदेश मे महिला विंग अखिल भारतीय विमुक्त एवं घुमन्तु जाति वेलफेयर संघ की अध्यक्ष है और गॉव पचैण्डा कला मे शहीद बचन सिंह व स्वर्गीय अरूण पहलवान अखाडा की उपाध्यक्ष है। जानसठ इण्टर कॉलिज मे लेक्चरार है।
डाक्टर मोनिका सिंह का सपना
डाक्टर मोनिका सिंह का सपना है कि देश से जातिवाद पूर्णतः समाप्त हो सभी को एक सी समानता समाज और कानून की नजरो मे प्राप्त हो । क्योकि जातिवाद समाज की जडो को खोखला करने का काम करता है। यदि जातिवाद समाप्त हो जाये तो देश और ज्यादा तरक्की कर सकता है।
पहलवान युधिष्ठिर और उनकी पत्नी डाक्टर मोनिका सिंह मे कूट कूट कर भरी है समाज सेवा
ग्राम पचैण्डा कला मे पहलवान युधिष्ठिर की लग्न और परिश्रम से शहीद बचन सिंह व स्वर्गीय अरूण पहलवान नामक अखाडा उचाईया छू रहा है। इस अखाडे को इस उचाई पर ले जाने मे पहलवान युधिष्ठिर को बहुत पापड बेलने पडे है। अखाडा साई से अडोप हो चुका है। मैट, जिम , मिट्टी का अखाडा जैसी सभी सुविधाये मौजूद है। लडकियो के लिये अलग होस्टल पर काम चल रहा है। इस अखाडे के अध्यक्ष युधिष्ठिर के बडे भाई चौधरी अर्जुन पहलवान है। अखाडे का संचालन पहलवान जी युधिष्ठिर के चाचा श्री मांगेराम जी करते है। पहलवान युधिष्ठिर की पत्नी डा0 मोनिका सिंह इस अखाडा की उपाध्यक्ष है। जो समाज के उज्जवल भविष्य के लिये समाज सेवा मे लगातार प्रायत्नशील रहती है।
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत