महान पहलवान उदय चन्द (अर्जुन अवार्डी ) का जन्म हरियाणा के हिसार के पास एक छोटे से गॉव जाण्डली मे 25 जून 1935 को हुआ था । बचपन से ही उदय चन्द कुस्ती के शौकीन थे । अपने भाई हरिराम के साथ उदय चन्द कुस्ती का अभ्यास किया करते थे । भारतीय सेना मे भर्ती होने के बाद उदय चन्द के सपने आसमान छूने लगे थे ।
उदयचन्द का संघर्ष
उन्होंने योकोहामा में 1961 में हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। एक बार उदय चन्द विश्व चैंपियन महेमद.अली सनातनकर के खिलाफ अपने मुकाबले के दौरान विशेष रूप से बदकिस्मत रहे थे क्योंकि 1.1 ड्रॉ में मुकाबला समाप्त हो गया। भlरत सरकार ने उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा 1 9 61 में कुश्ती में प्रथम अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया था। श्री उदय चन्द जी ने तीन ओलिम्पक मे भाग लिया रोम 1 9 60 , टोक्यो 1 9 64 , मैक्सिको सिटी 1 9 68 और मैक्सिको सिटी में क्रमशः 6 वां स्थान पर रहे। श्री उदय चन्द जी ने एशियाई खेलों में दो बार भाग लिया 1 9 62 के एशियाई खेलों जकार्ता में 70 किलो ग्रेको.रोमन में दो रजत पदक जीते और 1 9 66 एशियाई खेलों बैंकाक में 70 किलो फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीता। इसके अलावा उन्होंने चार अलग.अलग विश्व कुश्ती चैंपियनशिप यानी योकोहामा 1 9 61, मैनचेस्टर 1 9 65, दिल्ली 1 9 67 और एडमोंटन 1970 में भाग लिया। उन्होंने स्कॉटलैंड के एडिनबर्गए 1 9 70 में ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक के साथ अपने शानदार कैरियर को चार चॉद लगा दिये और खेलो से सन्यास ले लिया वह 1 9 58 से 1 9 70 तक भारत में निर्विवाद राष्ट्रीय चैंपियन बने रहे।
कोच के रूप मे उदय चन्द की सेवाये
बाद का जीवन भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में एक कोच के रूप में शामिल होकर 1 9 70 से 1 99 6 तक अपनी सेवाएं दीं। उनके समय के दौरान कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों तैयार हुये और विश्वविद्यालय टीम को कई अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में जीत।दिलाई
धुम्रपान उदयचन्द की कमजोरी
श्री उदय चन्द जी बीडी हुक्का पिया करते थे कभी कभी तम्बाकु का भी सेवन करते थे । श्री उदय चन्द खुद मानते है की ये मेरी सबसे बडी कमजोरी थी जिसका मुझे तमाम उम्र मलाल रहेगा यदि मै तम्बाकु बीडी सिगरट का सेवन न करता तो करीब 15 मेडल और अधिक जीत सकता था और विश्व चैम्पियन होता ।
अपने भाई के साथ
विश्व चैम्पियनशिप मे जाना
उदय चन्द जी अपने भाई हरिराम के साथ विश्व चैम्पियनशिप मे हिस्सा लेने साथ गये थे भारत के इतिहास मे ऐसा पहली बार था कि एक मॉ के दो बेटे विश्व चैम्पियनशिप मे गये हो आज समय की धरा मे बहते बहते हो सकता है लोग उदय चन्द को भूल गये हो परन्तु भारत का कुस्ती इतिहास उन्हे कभी नही भुला सकता
कुछ लोग उदयचन्द को कहते है घमण्डी
हालाकि कई लोग उदयचन्द को घमण्डी व बडबोला भी कहते है। लेकिन उदय चन्द इन बातो की परवाह नही करते अच्छा पहलवान होने के बावजूद उदयचन्द को काफी मेहनत करनी पडी
जब उदय चन्द पर भरी पडी
राजनीति
उदय चन्द बताते है कि मुझे ओलम्पिक मे 67 कीलो मे भाग लेना था जबकी मुझे 74 कीलो मे भेजा गया और मेरी जगह 67 किलो मे गुरू हनुमान के शिष्य ज्ञान प्रकाश पहलवान को भेजा गया जबकि मै ज्ञान प्रकाश को आसानी से हराया करता बाद मे मुझे पता चला कि गुरूहनुमान ने ज्ञान प्रकाश को कम वजन मे उतारने के लिये भारतीय ओलम्पिक संघ के अश्विनी कुमार से सिफारिश कराई थी उदयचन्द कहते है कि मुझे यदि मेरे वजन 67 कीलो मे हिस्सा लेने दिया जाता तो मै निश्चित ही ओलम्पिक से पदक जीत जाता क्योकि जिस अमेरिकी पहलवान से ज्ञान प्रकाश बहुत कम अन्तर से हारा उसे स्वर्ण पदक मिला था और मै ज्ञान प्रकाश को आसानी से हरा लिया करता था ।
पहला ओलम्पिक और उदयचन्द
पहलवान उदय चन्द के कैरियर की सुरूवात ही उस समय हुई थी जिस समय खेलो की हालत दयनिय थी जीतने पर भी कोई नही बूझता था । देश मे खेल संघो के अध्यक्ष जरूर उदयोगपति होते थे । लेकिन खिलाडी जरूर एक एक पैसे के मोहताज हुआ करते थे । पहलवान उदयचन्द कुस्ती जगत का वो कोहीनूर है जो देश की तरफ से 1960 मे कुस्ती के खेल मे हिस्सा लेने के लिये रोम के अन्दर ओलम्पिक मे खेलने गया । उदयचन्द से पहले कोई भी भारतीय पहलवान कभी भी ओलम्पिक मे खेलने नही गया था । पहलवान जी वहॉ की चमक दमक देखकर हैरत मे पड गये । वहॉ पर सब कुछ अलग था । भारतीय अधिकारी वहॉ की ए बी सी डी नही जानते थे । जब पहलवान उदयचन्द जी अखाडे रूपी मैट पर कुस्ती लडने के लिये गये तो रेफरी ने कहा की जूते पहन कर आओ तब उदय चन्द को पता चला था की यहॉ पर जूते पहनकर कुस्ती लडी जाती हैं । पहलवान जी जूते पहन कर दोबारा मैट पर गये और कुस्ती लडी लेकिन परिणाम अनुरूप ना आये । क्या एसी हालत मे पदक जीता जा सकता है।
तीन बार मा0 चन्दकी राम से हुई कुस्तीय नही निकला परिणाम
पहलवान उदयचन्द की तीन वार कुस्तीया मास्टर चन्दगीराम जी के साथ हुई कभी परिणाम नही निकल सका और कुस्ती बराबरी पर रही
जब उदयचन्द ने बचाई देश की लाज
एक समय की बात है दिल्ली मे कुस्तीया चल रह थी रूस्तमे पाकिस्तान पहलवान मौलाबक्स की कुस्ती भारत के नामचीन पहलवान श्री मेहरदीन के साथ हुई कुस्ती बराबरी पर रही किसी ने मौला बक्स को ये कह दिया कि कुस्ती मिलकर हुई है। इस बात पर पाकिस्तानी पहलवान मौलाबक्स भडक उठा और उसने भारतीय पहलवानो को चुनौती दे डाली किसी भी भारतीय पहलवान ने मौलाबक्स की चुनौति स्वीकार नही की तब गुरू हनुमान और मुरलीधर डालमिया ने उदयचन्द से मौलाबक्स के साथ कुस्ती लडने की गुहार लगाई तब उदय चन्द ने ये कुस्ती लडी और तीनवे मिन्ट मे मुलतानी दाव लगाकर उदयचन्द ने मौलाबक्स को चित किया
कई उपलब्धिया प्रथम बार उदय चन्द के नाम है दर्ज
प्रथम: खिलाडी जो ओलंपिक में गए
प्रथम: अर्जुन अवार्ड विनर
प्रथम: विश्व चैम्पियनशिप से पहले पदक विजेता
प्रथम: खिलाडी जो ओलंपिक में तीन बार गए
प्रथम: खिलाडी जो भाई के साथ विश्व चैम्पियनशिप में गए
प्रथम: 1700 से ज्यादा शिष्य पहलवान खिलाडी सरकारी नौकरीयो पर गए (हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय)
जब हरियाणा के मुख्यमन्त्री ने उदय चन्द से मिलने को किया इन्कार
21-august-2017 को लोग अपना सरकारी दफतरो में काम नही होने के चलते मुख्यमन्त्री महोदय के दरबार मे अपनी शिकायत लेकर पहुचे थे । मुख्यमन्त्री के दरबार मे करीब 500 शिकायतकर्ता आये थे इनमे एक हमारे देश के महान पहलवान 87 वर्षीय चौधरी उदयचन्द भी पहुचे थे , उदयचन्द कुस्ती के खेल के पहले ओलम्पियन है। , पहले अर्जुन अवार्डी है। , तथा विश्वचैम्पियन शिप से पहले पदक जीतकर लाने वाले पहलवान है। पहलवान उदयचन्द भी आम लोगो के साथ मे गर्मी के दौरन लाईन मे लगे नजर आये थे , सीएम के अधिकारीयो द्वारा सभी शिकायतकर्ताओ को एक एक स्टीकर दे दिया गया था । मुख्यमन्त्री के सामने सुरेश कुमार (दिव्यागं) शिक्षक ने गुहार लगाई थी की मेरी पत्नी भी अध्यापिका है। और हमारी एक बेटी है। जो दिव्याग है। अतः हमारी न्युक्ति रोहतक के पास करवादो लेकिन मुख्य मन्त्री महोदय ने नियमो का हवाला देते हुये ऐसा करने से मना करदिया था , कुछ लोग अपने आपको पक्का करने की मॉग लेकर पहुचे मुख्यमन्त्री महोदय ने कहा की एसा नही हो सकता शिकायत कर्ता बोले की हमारे बाद के लोग कैसे पक्का करदिये गए इस पर मुख्यमन्त्री महोदय बोले की कोर्ट चले जाओ । यह सब देख रही एक महीला शिकायतकर्ता झल्लाकर बोली थी , जब कोई समाधान ही नही हो रहा तो बन्द करो ये दरबार इस पर मुख्यमन्त्री बोले थे की आप मुझे अपनी शिकायत दो अपना दर्द नही
उदयचन्द के दिल मे है कई बाते
उदयचन्द कहते है कि कुस्ती के पैरोकार और अधिकारी उदयचन्द पहलवान को भूल चुके है ना कभी मुझे पदम श्री के लायक समझा गया ना ही द्रोणाचार्य के मै सुरू से लेकर आखिर तक उपेक्षा का शिकार होता रहा
जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तब मुझे कुछ आस जगी थी लेकिन नतिजा वही एक डाक के तीन पात चौथा लगे ना पाचवे की आस वाला ही साबित हुआ ।
साक्षातकार कर्ता
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत