रविन्द्र शामली-: गुरू हनुमान जी के 119 वे जन्म दिन पर 15 मार्च 2019 को जो यह आयोजन हुआ है। इसका श्रेय आाप किसे देगे सर ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य -: इस आयोजन का श्रेय जाता है गुरू हनुमान जी को । उनके आशिर्वाद से ही यह सब सम्भव हुआ है। उन्ही की वजह से इतने लोग बहुत दूर दूर से आये है, आपना काम छोडकर आये है।
रविन्द्र शामली- आज के दौर मे खेल कितना बदल गया सर ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य -: बदलाव समय की मागं होती है। खेल मे टैक्निक बहुत आ गई है। पढाई बहुत जरूरी हो गई । इसलिये हमे अपने आप को समय के साथ बदलना होगा और आगे बढना होगा । खेल के क्षेत्र मे आगे बढने के लिये हम लगातार प्रयासरत है।
रविन्द्र शामली-: सर इस बार भारत केसरी टाईटल गद्दे पर करवाया गया पहले मिट्टी पर करवाया जाता था बदलाव के पीछे क्या सोच रही ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य - मै जब भी खेल के विषय पर सोचता हू तो यही सोचता हू कि खेल आगे कैसे बढे, इस बार यह टाईटल गद्दे पर इसलिये करवाया गया कि इसका सीधा लाभ खिलाडियो को मिल सके क्योकि भविष्य मे जो भी मुकाबले बहार विदेशो मे होगे उनमे हमारे बच्चो को लाभ मिले ।
रविन्द्र शामली-: केन्द्रय मन्त्री श्री हर्षवर्धन जी के सामने आपने आज गुरू हनुमान जी के अखाडे की कई समस्याये उठाई और श्री हर्षवर्धन जी ने भी बहुत ही सकारात्मक बात की है। आप को क्या लगता है ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य -: उम्मीद है अच्छा ही होगा मन्त्री जी ने सकारात्मक बाते की है। हम यही चहाते है सुखद नतीजे निकले और समय के साथ -साथ गुरू हनुमान जी का नाम और संस्था और आगे बढे ।
रविन्द्र शामली- सर गुरू जी के नाम पर और कोई योजना आगे बढ रही है ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य -: हमने इस बार साल 2019 से गुरू हनुमान जी के नाम पर गुरू हनुमान खेल रत्न अवार्ड देना शुरू किया है। जिसमे गुरू हनुमान जी के प्रतीक चिन्ह के साथ खिलाडी को एक लाख रूपये दिये जाते है। पहला गुरू हनुमान खेल रत्न अवार्ड पहलवान सुशील कुमार को दिया है। आगे कोशिश करेगे की दूसरे खेल के खिलाडियो को भी यह अवार्ड मिले । हरियाणा मे हमे जमीन का एक बडा हिस्सा किसानो की ओर से गुरू हनुमान जी के नाम पर मिल रहा है। जहाँ पर हमारी योजना यह है , कि गुरू हनुमान जी के नाम से एक एसा स्टेडियम स्कूल बने जिसमे हर सुविधा हो , हर खेल हो , एक छत के नीचे खिलाडी को सब सुविधा मिले । यदि यह योजना परवान चढी तो हम सायद उस समय तक ना रहे , लेकिन देश को सुखद परिणाम खेल के क्षेत्र मे भविष्य मे ज्यादा बेहतर मिलेगे ।
रविन्द्र शामली-: गुरू हनुमान अखाडा से जुडी कोई ऐसी बात सर जो आज भी आपको याद हो तो बताये ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य -: जब गुरू जी के अखाडे से एक से एक बडे पहलवान निकले और पहलवानो ने डंका विदेशो मे अपनी कुस्ती कला का बजाया , तो दूसरे देशो से लोग गुरू जी के अखाडे मे ये देखने के लिये आते थे कि वो कौन सी खान है दिल्ली मे जहॉ से एसे एसे पहलवान निकल कर आ रहे है। विदेशी सोचते थे कि पता नही कौनसी सुविधा है यहॉ पर, जिसके बल पर परचम लहरा रहे है। ये भी एक याद है और भी बहुत सारी यादे है बताऊगां फिर कभी ।
रविन्द्र शामली-: अगली बार जब भी कोई बडा आयोजन गुरू हनुमान जी की संस्था की और से होगा तो क्या बदलाव देखने को मिल सकता है सर ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य -: हो सकता है आपको पुरूषो के साथ साथ महीलाओ की कुस्ती भी देखने को मिले ।
रविन्द्र शामली- खिलाडियो के लिये कोई संदेश ?
श्री राजसिंह द्रोणाचार्य -: मै तो खिलाडी बच्चो के लिये यही कहुगा कि यदि आपको खिलाडी बनना है, आगे बढना है तो अनुशासित बनना पडेगा , यदि आप अनुशासित नही है। तो आप उतना आगे नही जा सकते जितने के आप हकदार हो
साक्षातकार कर्ता
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत