Friday, December 21, 2018

मोहित किगं जैसा भाई किस्मत से मिलता है। - डा0 रचिता महलावत


एक मुलाकात डा0 रचिता महलावत से -
डा 0 रचिता महलावत कुस्ती रत्न गुरू भीम पहलवान जी की बेटी है।

प्रश्न-1 रचिता जी आप बचपन से ही डाक्टर बनना चहाती थी या कोई और सपना था ?

उत्तर- मेरा बचपन से ही डाक्टर बनने का ही सपना था क्योकि पिताजी मुझे डाक्टर बनते हुये देखना चहाते थे मै पिताजी का सपना पूरा करना चहाती थी आज मै बहुत खुश हू कि मैने पिताजी का सपना पुरा किया

प्रश्न-2 रचिता जी वास्तव मे किस दिन लगा आपको की आज पिताजी का सपना पूरा हो गया ?

उत्तर - एक्चुली  सच बताऊ आपको 24 अगस्त 2018 को मेरे क्लीनिक का उदघाटन हुआ हवन पूजन के बाद यहि वो दिन था  जब मुझे लगा कि पिताजी का सपना पूरा हो गया

प्रश्न-3 गुरू जी भीम पहलवान (कुस्ती रत्न) पहलवान होने के साथ साथ एक समाज सेवी इंसान थे। जो अब हमारे बीच नही है। उनकी किन बातो का आप पर प्रभाव पडा ?

उत्तर - पिताजी के साथ बिताया हर  पल मुझे आज भी याद है। पिताजी की शिक्षा का ही असर है। या कहो की उन्ही से प्रभावित होकर मै सोसाईटीज मे फ्री डेंटल मेडिकल चेकअप कैम्प लगाती हू


प्रश्न-4 अपनी मम्मी के साथ बचपन की कोई याद जो आपको आज भी याद हो शेयर करना चाहोगी ?

उत्तर - हॉ क्यो नही बचपन मे मुझे मम्मी स्कूल से लेकर आया करती मुझे आज भी याद है। जब स्कूल से छुटृटी का समय होता तो मेरी नजरे  मम्मी को ढूंढती रहती थी। मुझे जैसे ही मम्मी दिखाई देती मै अपना बैग उठा लेती ये ऐसी यादे है जिनमे वापिश तो नही जाया जा सकता  , पापा के जाने के बाद मम्मी ने हमे सम्भाला कभी कोई कमी नही होने दी मेरी कामयाबी मे मम्मी का अहम रोल रहा ,  शादी के बाद भी मम्मी मुझे सपोर्ट करती है।

प्रश्न-5 आपका भाई मोहित किगं जिसमे समाज सेवा कूट कूट कर भरी हुई है। मै चाहूगा आप मोहित के मारे मे भी कुछ बाते शेयर करे ?

उत्तर -मै मोहित किगं से पॉच साल छोटी हू मोहित किगं मुझसे उम्र मे बडा है। मोहित किगं ने मेरी सभी ख्वाहिसे पूरी की है। सच बताऊ तो मै मोहित किंग को भाई के रूप मे नही बल्कि पिता के रूप मे देखती हू मेरे भाई के पास दो बच्चे है। लेकिन मुझे लगता है उसके पास तीन बच्चे है। जिनमे एक मै हू मुझे लगता है मोहित किगं दुनिया का सबसे अच्छा भाई है। मै तो चहाती हू कि हर बहन को मोहित किगं जैसा भाई मिले

प्रश्न-6 रचिता जी आप दॉतो की डाक्टर है। मै जानना चहाता हू की आम आदमी क्या करे जिससे  वो अपने दॉतो की हिफाजत कर सके ?

उत्तर - सुबह शाम दंत मंजन करना चहिये हर छः महीने के बाद अपने दॉतो का चेक अप जरूर करवाये खाना खाने के बाद माउथ वाश का प्रयोग करे मीठा कम खाये , यदि खाये तो भोजन के साथ खाये खाने के बाद इण्टर डेन्टल ब्रुश का प्रयोग करे जिस मौसम मे जो फल उपलब्ध हो उनहे अपनी डाईट मे शामिल करे

प्रश्न-7 आपके कलिनिक की कोई ऐसी विशेषता जो आपको औरो से अलग खड़ा करती है ?

उत्तर - किसी भी खेल का खिलाडी महिला हो या पुरूष , उसे हमारे यहॉ इलाज और चैक अप मे विशेष दूट दी जाती है।

प्रश्न-8 दॉतो से जुडा वो कौन सा क्षेत्र है।  जिसमे आज भी लोग  जागरूक  दिखाई नही देते क्या कहोगी ?

उत्तर -बच्चो के दूध के दॉतो के प्रति आज भी लोग जागरूक नही है। ऐसा नही होना चाहिये हर माता पिता को अपने बच्चो के दातो का चेक अप जरूर करवाना चहिये


साक्षातकार कर्ता
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत

Saturday, November 3, 2018

जीवन मे खेल जरूरी - युधिष्ठिर


 उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के निकट गॉव पचेण्डा कला के पहलवान युधिष्ठिर के अखाडे की बात करे तो यह अखाडा कई साल पहले युधिष्ठिर पहलवान के अथक प्रायासो की बदौलत साई से अडोप तो हो गया था । अखाडे को जिम और मैट भी साई कि तरफ से मिल चुका है। लेकिन अब मैट को कहॉ पर बिछाये समस्या ये है। पहलवान युधिष्ठिर उत्तर प्रदेश के मन्त्रीयो और सांसदो के घरो के चक्कर लगाते लगाते अपनी चप्पले घिसा चुके है। लेकिन किसी मन्त्री या विधायक , सांसद के सीने मे इतना दम नही पाया की किसी ने कहा हो कि युधिष्ठिर मै इस अखाडे मे हॉल का निर्माण कराऊगॉ । आज तक अखाडे मे साई की तरफ से कोई कोच नही दिया गया है। जबकि कोच बहुत जरूरी चहिये । जो चिन्ता का विषय है। इस अखाडे के जो बच्चे स्कॉलरशिप के लिये ट्रायल पास करने मे सफल हुये उन्हे साई की तरफ से केवल एक बार स्कॉलरशिप मिली है। फिर बाद मे कभी नही मिली । स्कॉलरशिप कहा जाती है। पता नही , इस विषय पर पहलवान युधिष्ठिर का कहना है कि " या तो अधिकरियो को कहना चहिये की हमारे पास स्कॉलरशिप देने के पैसे नही है। या फिर देनी चहिये लेकिन यहॉ उलटा है। यहॉ न स्कॉलरशिप मिलती है और ना कोई देने से मना करता है। " एक तरह से उभरती प्रतिभाओ का गला घोटा जा रहा है। पहलवान युधिष्ठिर आगे कहते है - हमारे अखाडे के बच्चे मेडल भी ला रहे है। लेकिन सरकार की और से कोई प्रोतसहान नही मिलता है। जो बच्चा बेहतर कर रहा है। सरकार का उस पर कोई ध्यान नही है। युधिष्ठिर पहलवान का कहना है कि मै इस क्षेत्र के सभी बच्चो के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिये गॉव पचैण्डा कला मे चल रहे शहीद बचन सिंह अखाडे मे बच्चो के उज्जवल भविष्य का सपना देखता हू सायद कुछ लोगों को लगता है की मेरे सपने फालतू के है। पहलवान युधिष्ठिर का मानना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे
प्रतिभाओ की कमी नही है। बहुत प्रतिभाये है जिन्हे थोडे से सहारे की जरूरत है। लेकिन यहॉ के लोगो को चमचागिरी करने से ही फुर्सत नही है। जब कोई मन्त्री या विधायक गॉव या क्षेत्र मे आता भी है। तो अपने यहॉ के लोग अपनी समस्या ना रखते ना रखने देते बस चमचागिरी मे लग जाते है। यही कारण है। कि प्रतिनिधि समस्याओ पर ध्यान नही देते । बताते चले पहलवान युधिष्ठिर एक समाज सेवी इन्सान है जो कि खेलो को बढावा देने के लिये लगातार प्रयासरत है। युधिष्ठिर की पत्नी भी राष्ट्रीय खिलाडी रह चुकी है। पहलवान युधिष्ठिर उत्तर प्रदेश सरकार की खेलो के प्रति उदासीनता से नाराज है।
(पहलवान युधिष्ठिर से हुई बात चीत पर आधारित )
नोट - अधिक जानकारी प्राप्त करने तथा समस्या के निस्तारण हेतु जनप्रतिनिधि या समबन्धित अधिकारी समाजसेवी पहलवान युधिष्ठिर से सम्पर्क करे ।
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत


Friday, September 21, 2018

किसानों के लिये सत्ता से जंग : नरेश टिकैत


(रविन्द्र शामली ) भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत आज केन्द्र की सत्ताधारी दल के खिलाफ  किसान क्रान्ति यात्रा के माध्यम से बिगुल फूकने की तैयारी कर चुके है। किसान को उसकी फसल का दाम समय से ना मिलने से चौधरी नरेश टिकैत सरकार से नाराज है। चौधरी नरेश टिकैत का कहना है कि चार साल से ज्यादा का समय केन्द्र मे सरकार को आये हुये हो चुका है। लेकिन किसानो से किये गये वादो को भुला दिया गया है। बे सिर पैर के फैसलो से सरकार किसान को कमजोर करने का कार्य कर रही है। ना स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागु की गई है। ना ही किसान का समय से गन्ना भुगतान किया गया है। , चीनी मिल मालिको के सामने सरकार और उसके मन्त्री बगले झाकने को मजबूर क्यो दिखाई देते है। चौधरी नरेश टिकैत के सशक्त तेवरो के सामने कई मन्त्रीयो के हाथ पॉव फूले बताये जा रहे है। चौधरी नरेश टिकैत के भाई चौधरी राकेश टिकैत का कहना है कि 19 हजार करोड किसानो का मिल मालिको पर बकाया है। जो सरकार को दिखाई नही देता  इन्ही नितियो के कारण किसान खेती किसानी छोडने को मजबूर हो रहा है। दस वर्ष पुराने ट्रैक्टर भविष्य मे बन्द करने का सरकारी फैसला भी दुर्भाग्य पूर्ण है। किसान की एसी हालत नही है कि वो हर दस साल मे नये ट्रैक्टर खरीद सके ।  कई सारे और भी ज्वलन्त शील किसानो के मुद्दे है जिन्हे हम यात्रा के माध्यम से प्रभावशाली ढंग से उठायेगे । चौधरी नरेश टिकैत आज सिसौली से किसानो के साथ हरिद्वार के लिये कूच करेगे और कल 23 सितम्बर से 02 अकटूबर तक किसान क्रान्ति यात्रा कर सरकार की ऑख और कान खोलने का कार्य करेगे । इस किसान क्रान्ति यात्रा मे लाखो की संख्या मे किसान भाग लेगे । यात्रा बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत घाट हरिद्वार से आरम्भ होगी,  पहला पडाव पतंजली बहादराबाद और आखरी पडाव राज घाट होगा । जहॉ रणसिंघा बजाया जायेगा और हरी टोपी लगाये लाखो किसान अपनी आवाज सरकार तक पहुचायेगे ।


Tuesday, September 18, 2018

अंधेरी दुनिया का चमकता सितारा अंकुर धामा

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के गॉव खेकडा निवासी अंकुर धामा को अर्जुन अवार्ड मिलने की घोषणा होने पर खुशी मे पूरा खेकडा गॉव  झूम उठा है। अंकुर धामा दिव्यागं एथलीट है। बचपन मे पॉच साल की उम्र मे अकुंर जब अपने साथियो के साथ रंगो से होली खेल रहा था तब उसकी ऑखो मे रंग चला गया था । जहॉ होली को रंगो का त्योहार माना जाता है। उसी दिन अंकुर की ऑखो की रोशनी चली गई थी l परिवार ने बहुत इलाज करवाया लेकिन कामयाबी ना मिली और अंकुर की जिन्दगी मे अंधेरा छा गया था । अंकुर की कामयाबी से कोई भी खिलाडी प्रेरणा ले सकता है। बचपन से ही अंकुर इस अंधेरी दुनिया मे चमकने का इरादा कर बैठा दृष्टि हीन होने के बावजूद अंकुर अपनी मेहनत से अपने आपको साबित करने मे कामयाब हो गया । अर्जुन अवार्ड मिलने की बात का जिकर आते ही अंकुर के परिवार वालो की ऑखो से आसू छलक पडते है। अंकुर धामा ने अपनी शिक्षा लोदी रोड स्थित जे0 पी0 एम सीनियर सैकेण्डरी स्कूल फोर ब्लाईण्ड सें प्राप्त की है। इस स्कूल के शिक्षकों ने अंकुर के खेल के प्रति रूझान को देखकर ही उसे दौड मे भाग लेने के लिये प्रेरित किया था। अंकुर ने 2016 के पैरा ओलम्पिक मे भी भाग लिया था लेकिन क्वालिफाई करने से चूक गया था l अब अंकुर का जकार्ता के अन्दर होने वाले खेलो मे पदक जीतना अकुर का सपना है। अंकुर का युवाओ के लिये संदेश है।
कि उम्मीद ना छोडे हर मुश्किल मे उम्मीद की किरण छिपी होती है । अंकुर धामा को पहली बडी कामयाबी साल 2009 मे मे मिली थी । अंकुर ने वर्ल्ड यूथर स्टूडेन्ट चैम्पियनशिप मे दो गोल्ड जीतकर अपना लोहा मनवाया था । अंकुर धामा ने साल 2014 मे एशियन पैरा गेम्स मे एक सिलवर दो कास्य पदक जीते थे इस बार अक्टूबर के महीने मे होने जा रही पैरा एशियन चैम्पियनशिप मे अंकुर धामा 15000 मीटर व 5000 मीटर दौड मे भाग लेगा । अंकुर धामा दिल्ली मे स्थित यूनियन बैक मे सहायक मैनेजर अधिकारी के पद पर कार्यरत है। जिला बागपत को अंकुर धामा ने यह छटा अर्जुन अवार्ड दिलाया है। इससे पहले श्री सुभाष वर्मा पहलवान , राजीव तोमर पहलवान , शौकिन्द्र तोमर पहलवान , सुनील राणा , विवके सिंह को अर्जुन अवार्ड मिल चुका है।
रविन्द्र शामली 

कुस्ती जगत

Sunday, September 16, 2018

नरेंद्र पहलवान का वर्ल्ड फायर कुस्ती गेम्स में गोल्ड पर कब्जा

(रविन्द्र शामली )  साउथ कोरिया में 13th वर्ल्ड फायर कुस्ती गेम्स का 09 सितम्बर से 17 सितम्बर तक आयोजन हुआ l जिसमे कैर गांव के पहलवान नरेंदर ने  120 kg वजन में अपनी कुस्ती कला का लोहा मनवाते हुये  विपक्षी पहलवानो को हरा कर , दो 
 गोल्ड मैडल जीत देश का शिर शान से उॅचा कर दिया l नरेंदर पहलवान की  इस उपलब्धि  पर देश की आन, बान, शान, पहलवान सुशील कुमार  , रविंद्र  सांगवान  डी0 एस0 पी0,  प्रवेश वर्मा  सांसद , मनिंदर सिरसा  विधायक ,  पार्षद सुमन डगर , अजय शर्मा फॉर्मर चीफ फायर सर्विस,  रघुबीर सेहरावत ,  बब्बु खलीफा , सुरेंद्र कालीरमन अधिवक्ता , रविन्द्र शामली , देवेंद्र पहलवान, भीम पहलवान और कैर गांव के लोगो ने बधाई दी भारत पहुंचने पर पहलवान नरेंद्र का गांव कैर में भव्य स्वागत किया जायेगा l 
रविन्द्र शामली 
कुस्ती जगत 

Monday, September 3, 2018

मिलिए सचिन राठी पहलवान से

सचिन राठी पहलवान का जन्म जिला बागपत के गांगडोली ग्राम मे 10 जौलाई सन 1998 मे हुआ था । सचिन का परिवार खेती बाडी का कार्य करता है । पहलवान सचिन राठी अपने चार भाई और दो बहनो मे सबसे छोटे है। सचिन राठी ने 12 वी तक की शिक्षा गॉव दोघट के गॉधी स्मार्क इण्टर कॉलिज जिला बागपत से की है। सचिन राठी के गॉव गांगडोली के पास ही दोघट गॉव पडता है। सचिन की काबिलियत को सबसे पहले दोघट गॉव के पहलवान माठू ने पहचाना था । आज माठू पहलवान की पारखी नजरो का पूरा क्षेत्र लोहा मानता है। माठू पहलवान सचिन राठी को उनके गॉव मे ही कुस्ती के दॉव पैच सिखाने के लिये अपने गॉव दोघट से गॉगडोली आया करते थे । साल 2013 मे सचिन राठी गुरू हनुमान अखाडे मे आ गये जहॉ पर सचिन को आधुनिक द्रोणाचार्य श्री महासिंहराव ,प्रवीण बिन्ना , चरणदास ,नवीन मोर , जैसे लोगो का सान्धिय प्राप्त हुआ । एक साल बाद ही पहलवान सचिन राठी ने
साल 2014 मे कैडिट मे रजत प्राप्त किया
साल 2015 मे कैडिट मे गोल्ड प्राप्त किया
साल 2015 मे कैडिट एशिया मे कास्य प्राप्त किया
साल 2015 मे कैडिट वर्ल्ड चैम्पियनशिप मे 5 वॉ स्थान प्राप्त किया l
साल 2016 मे जूनियर नेशनल मे रजत पदक प्राप्त किया ।
साल 2016 मे सचिन राठी को नेवी मे नौकरी प्राप्त हुई खेल कोटे से l
साल 2016 मे जुनियर नेशनल मे रजत प्राप्त किया ।
साल 2017 मे साई नेशनल मे गोल्ड प्राप्त किया ।
साल 2017 मे भारत कुमार का टाईटल दिल्ली मे जीत लिया।
साल 2018 मे जूनियर नेशनल मे गोल्ड प्राप्त किया ।
साल 2018 मे एशियन चैम्पियनशिप मे गोल्ड प्राप्त किया l
सचिन राठी सिनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिये भी क्वालिफाई कर चुके है। वो भी फस्ट पोजीशन के साथ यही नही सचिन राठी जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिये भी क्वालिफाई कर चुके है। जुनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप 17 सितम्बर से सुरू होने वाली है और सीनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप हंगरी मे 20 अक्टूबर से सुरू होने वाली है। दोनो ही प्रतियोगिताओ के लिये पहलवान सचिन राठी ने क्वलीफाई किया है।

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रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत

Tuesday, August 21, 2018

हिन्द केशरी नेत्रपाल मेरे आदर्श -अरूण दूबे

अरूण दूबे मेरे प्रिय मित्रो मे से एक है। खेल के लिये इनका बडा योगदान रहा है। अरूण जी का जन्म हरियाणा के फरीदाबाद मे सन- 1988 मे हुआ था अरूण जी के पिता का नाम अशोक कुमार व माता का नाम नीलम देवी है। अरूण दूबे जी ने कक्षा 12 की शिक्षा प्राप्त की है। हरियाणा के फरीदाबाद मे ही हिन्द केशरी नेत्रपाल पहलवान जी भी रहा करते है। अरूण दुबे बहुत दिनो पहले एक बार हिन्द केशरी नेत्रपाल के सर्म्पक मे आये और नेत्र पाल की बातो का अरूण दुबे पर विशेष प्रभाव पडा , ऐसा प्राभाव पडा की अरूण दुबे पहलवान नेत्रपाल के पास जब भी समय लगता जाने लगे नेत्र पाल जी अरूण दुबे को अपनी कुस्ती की कहानी व किस्से सुनाया करते कही दंगल से नेत्र पाल पहलवान जी का बुलावा आता तो अरूण दुबे भी नेत्रपाल के साथ कुस्ती देखने जाने लगे । अब तो नेत्र पाल अरूण दुबे के आदर्श कहो या गुरू बस नेत्रपाल बन चुके थे । अरूण दुबे ने सुरूवात मे पत्रकारीता की और उसके बाद मे एक अच्छा सा कैमरा खरीदा और दंगलो की विडियोग्राफी करनी सुरू करदी 2016 की जनवारी से अरूण दुबे ने कैमरे के रूप मे कुस्ती की सेवा के लिये अपने हथियार उठा लिये और फिर कभी पीछे मुडकर नही देखा अरूण दुबे को लग्न और जनून इतना था कि 2016 से 2018 तक ही एक हजार से ज्यादा राष्ट्रीय लेविल के दंगलो को अपने कैमरे मे रिकोर्ड कर डाला अपने छोटे से कैरियर के दौरान ही दूबे जी ने कई खिलाडियो को फर्स से आसमान तक उडान भरते देखा अरूण दुबे के होसले के आगे हरियाणा ,दिल्ली राजिस्थान , महाराष्ट्र , पंजाब , उत्तर प्रदेश जैसे राज्य छोटे पडने लगे दुबे का कद दिन प्रतिदिन बढने लगा दूर दूर से बुलावे आने सुरू हो गये --------थोडी दुसरे राज्यो मे भाषा की समस्या जरूर आई लेकिन प्यार बेहिसाब मिला अरूण दुबे का मानना हे कि मेरे आदर्श हिन्द केशरी नेत्रपाल पहलवान जी ही है। यदि नेत्र पाल जी ना होते तो ये दुबे इस क्षेत्र मे कभी ना आता अरूण दुबे की मेहनत ने अरूण दूबे के कद को साबित कर के दिखाया बिना रूके बिना थके दूबे अपनी मेहनत को अन्जाम देते रहे अरूण दुबे जी एक ऐसे इन्सान है। जिन्होने कोई स्टार पहलवान हो या कोई गॉव का सामान्य पहलवान बराबर का दर्जा देने मे दुबे कभी पीछे ना हटे अरूण दुबे का कहना हैं कि स्टार के पीछे तो दुनिया भागती है। मैने तो साधारण पहलवानो को भी स्टार के दर्जे से कवर किया है। क्योकि आज का साधारण ही कल को असाधरण बनकर सामने आता है। अरूण दुबे अपने कैमरे से पुरुष व महिला पहलवानो की कुस्तीयो को कवर करने के साथ साथ कई तरह से शानदार फोटो ग्राफी करने के लिये मसहूर है। फरीदाबाद मे अरूण दुबे की एक अपनी पहचान और नाम हें लेकिन दूबे कहते है की प्यार से प्यार मिलता है। मै प्यार बाटता जाता हू लोग मुझे और ज्यादा प्यार देते जाते है। बचपन के दिनो को याद कर दुबे जी कहते है कि कई बार मै जब पढाई के दिनो मे दंगल देखने जाता था तो जी करता था की मै भी पहलवान बनू ( ये अन्दर की बात है पहलीबार जबान पर आई ) लेकिन सायद समय निकल चुका था और परिस्थितिया अनुकूल भी नही थी इसलिये मैने दूसरा रास्ता चुन लिया और जितना भी कार्य इस क्षेत्र मे किया बिलकुल दिल से किया । लगातार अरूण दूबे अपनी सेवा कुस्ती के क्षेत्र मे दे रहे है। कई लोगो ने मुझे भी कहा की तुम्हारा मित्र अरूण दुबे कुस्ती के क्षेत्र की विडियो ग्राफी करने के मामले मे भविष्य का चमकता सितारा है। मैने जब ये बात अरूण दुबे को बताई तो बोले की मजाक क्यो करता है। मैने कहा की मजाक तो मै करता ही नही कभी किसी का मैने आपको सत्य बात बताई मेरा हाथ पकड कर बोले की ये बाते मेरे लिये मील का पत्थर साबित होगी इन बातो से मेरा हौसला कई गुना बढ गया है।

llरविन्द्र शामली ।l
कुस्ती जगत ब्यूरो चीफ
उत्तर प्रदेश

Monday, August 20, 2018

एक लाख रुपये, घी, बदाम व भैस बजरंग के नाम - बब्बु खलीपा

दिल्ली कुस्ती प्रमोटर टीम के अध्यक्ष श्री बब्बु खलीपा का मानना है कि जिस प्रकार केवल नारा मार देने से कोई देश भगत नही होता उसी प्रकार केवल शुभकामना देने से किसी पहलवान का भला नही हो सकता दिल्ली की कुस्ती प्रमोशन टीम बब्बु खलीपा के निर्देशन मे कार्य करती है। बब्बु खलीपा ने अभी अभी ये फैसला लिया की केवल बधाई संदेश से पहलवानी और पहलवान का भला नही हो सकता है। जल्द ही श्री बब्बु खलीपा की कुस्ती प्रमोशन टीम बजरंग पहलवान को 100 किलो घी , 100 किलो बदाम , 1 लाख रू0 तथा एक भैस बधाई संदेश के साथ इनाम मे देगी । दिल्ली कुस्ती प्रमोशन टीम के पंकज अग्रवाल , महानन्द सिघल , सुरेन्द्र कालीरमण, अर्जुन सुद व विक्रम वशिष्ठ प्रवीण गोयल , सुरेन्द्र कुमार पूर्व विधायक , अतुल जैन (डी एस ग्रुप) , कौशल गुप्ता, अलोक दुबे ने बब्बु खलीपा के प्रस्ताव पर अपनी मोहर लगा दी है। जल्द ही दिन व दिनाकं की घोषणा की जायेगी।

llरविन्द्र शामली ll
  कुस्ती जगत

अटल बिहारी वाजपेयी को दंगल मे दी गई श्रद्धाजंलि - सुरेन्द्र कालीरमण


नई दिल्ली (रविन्द्र शामली) रविवार को दिल्ली (आई एस बी टी ) के सामने गुरू चिरंजी अखाडे मे गुरू बेला पहलवान की स्मृति मे विशाल दंगल का आयोजन किया गया जिसमे एक सौ पचास से ज्यादा कुस्तीया पुरुष व महिलाओ के बीच हुई सभी पहलवानो को इनाम दिया गया जिसमे सबसे बडी कुस्ती 51000 रू के इनाम पर रोहित (अखाडा तेज सिंह) व कपिल धामा (गुरू हनुमान) के बीच हुई जिसमे रोहित अंको के आधार पर विजेता रहे तथा कपिल धामा उप विजेता रहे । दंगल मे दूर दूर से आये सभी कोच, खलीपा व पहलवानो ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धाजंलि देकर याद किया दंगल मे मुख्य अतिथि महानन्द प्रसाद सिंघल , जय प्रकाश अग्रवाल (पूर्व सांसद), सुरेन्द्र सिंह (पूर्व विधायक), गुरू हनुमान अखाडे के स्टार पहलवान नवीन मोर , पंकज अग्रवाल , प्रवीण गोयल ,अर्जुन सूद , कौशल गुप्ता , सुभाष राणा रहे । दंगल का आयोजन प्रशlन्त रोहतगी (बब्बु खलीपा), सुरेन्द्र कालीरमण एडवोकेट , विकास पहलवान , विक्रम वशिष्ठ ने किया ।


Friday, August 17, 2018

भीम पहलवान जी थे कुस्ती के दिवाने - सरस्वती महलावत

 (श्रीमति सरस्वती महलावत जी कुस्ती रत्न भीम पहलवान जी की पत्नी है। )

रविन्द्र शामली ---- आपने जैसा नाम वैसा काम वाली कहावत को चितार्थ किया उच्च दर्जे की शिक्षा को हासिल किया कैसे ?

सरस्वती महलावत ---- हमारे जमाने मे फोन तो दूर की बात है टीवी नही होता था जाहिर सी बात है मै अधिक समय पढाई करने मे गुजारती थी माता  पिता हौसला बढाते गये और मै आगे बढती गई ।

 रविन्द्र शामली ---- आपने होममिनिस्टरी मे नौकरी की बाद मे टीचिगं लाईन मे योगदान दिया आप  राष्ट्रपति पुरूस्कार से भी सम्मानित हुई कई चुनौतिया भी आई होगी सामने , कैसे पार किया ?

सरस्वती महलावत - --- हर किसी को जीवन मे चुनौतियो का  सामना करना होता है। मेरे सामने भी कई चुनौतिया थी  जब इंसान के पास काबिलियत हो तब चुनोतिया बिखर जाती है बसर्ते पहलवानो की भांति आखरी सैकिण्ड तक इंसान मे चुनोतियो से लडने का जज्बा हो ।

रविन्द्र शामली ----माता जी आपने कभी क्या शादी से पहले या पढाई के दिनो मे सोचा था कि  कुस्ती के क्षेत्र मे योगदान देना है ?   

सरस्वती महलावत ----- नही उस समय तो कभी ख्याल भी नही आया था कि कभी कुस्ती के क्षेत्र मे आना पडेगा

रविन्द्र शामली - आपकी शादी जाने माने भीम पहलवान जी से हुई कम से कम शब्दों मे बताईये श्री भीम पहलवान जी कैसे थे ? 

सरस्वती महलावत - कुस्ती के दिवाने थे भीम पहलवान जी ।

रविन्द्र शामली - श्री भीम पहलवान जी से जुडी हुई कोई बात जो आज भी याद हो ?

सरस्वती महलावत - पहलवान जी की तो अब यादे ही बची है। मुझे याद है जब मै होम मिनिस्टरी मे नौकरी करती थी कभी कभी पहलवान जी अपनी सारी तनखा पहलवानो पर खर्च कर देते थे जैसे भारत गॉवो मे बसता है।  वैसे ही पहलवान जी कुस्ती मे रमे हुये थे ।

रविन्द्र शामली - कुस्ती के क्षेत्र मे आपने अमिट अलख जगाई इस क्षेत्र मे आने का विचार कैसे आया । 

सरस्वती महलावत - पहलवान जी के स्वर्गवास के बाद मुझे आभास  हुआ कि मुझे पहलवान जी के कार्यो को आगे बढाना चाहिए उनके लिये यही सच्ची श्रद्धाजंली होगी पुरुष हो या महिला दृड विश्वास और संकल्प हो तो क्या नही किया जा सकता है।

रविन्द्र शामली - माता जी आप कुस्ती के क्षेत्र मे जिस स्तर पर योगदान दे रही हो उस स्तर पर आप देश की प्रथम महिला हो कहीं  दंलग से बुलावा आता है वहॉ जाती हो कैसा लगता है। 

सरस्वती महलावत - संतोष होता है कि मै पहलवान जी के नाम को आगे बढा रही हू उनकी विरासत को बागे बढा रही हू ।

रविन्द्र शामली - आपके बेटे का क्या नाम है माता जी ?

सरस्वती महलावत -  मोहित महलावत किगं (लोग प्यार से किगं कहते है।)

रविन्द्र शामली - ---भविष्य की क्या योजना है ? 

सरस्वती महलावत ---- -एक ही योजना है जब तक दम है। अपने पति के सपनो को साकार करूगी।

रविन्द्र शामली - युवाओ के लिये कोई संदेश दीजिये माता जी ?

सरस्वती महलावत ----- चुनौतियो से घबराने के बजाय उनसे पार पाने  के लिये काम करो तो सफलता मिलेगी जरूर मिलेगी ।

llसाक्षातकार कर्ता ll 
रविन्द्र शामली 
कुस्ती जगत ब्यूरो चीप 
(उत्तर प्रदेश )

Thursday, August 16, 2018

राजकुमार जी और कुस्ती एक सिक्के के दो पहलू - श्रीमति चमेली देवी



श्रीमति चमेली देवी ( स्वर्गीय श्री राजकुमार पहलवान खलीपा की पत्नी है )


रविन्द्र शामली---- - आपकी शादी गुरू राजकुमार जी के साथ मे हुई इस संयोग के बारे मे बताये माता जी ?


चमेली देवी ---- एक बीच के रिस्तेदार ने मेरी शादी की बात चलाई थी लेकिन राजकुमार जी शादी नही करना चहाते थे उनकी मा यानी मेरी सास ने दबाब दिया राजकुमार जी पर तब वे राजी हुये और मेरी उनकी शादी हुई l


रविन्द्र शामली---- माता जी अब गुरू जी तो हमारे बीच नही है। क्या कभी गुरू जी राजकुमार के साथ किसी बात को लेकर मन मुटाव हुआ ?


चमेली देवी ---- नही राजकुमार जी तो एक संत थे शादी हो गई बच्चे हो गये वो बात दूसरी है। मुझे उन्होने कभी गलत शब्द तक नही कहे l


रविन्द्र शामली ---- गुरू जी का पूरा जीवन कुस्ती को समर्पित रहा है कभी आप की उनसे इस विषय पर बात हुई ?


चमेली देवी ---- किसी विषय पर बात करो या ना करो लेकिन राजकुमार जी कुस्ती पर बडी तसल्ली से बात करते थे राजकुमार जी ही नही इनके खानदान मे ही कुस्ती समाई हुई थी इनके बाबा , दादा सब पहलवान थे वही असर राजकुमार जी मे गया था


रविन्द्र शामली - राजकुमार जी के बचपन मे ही इनके पिता का स्वर्गवास हो गया था उस समय के संघर्ष के बारे मे कुछ बताईये ?


चमेली देवी - --- बडी लम्बी कहानी है उस जमाने मे राजकुमार के पिता की हलवाई की दुकान हुआ करती थी अच्छा काम चल रहा था इनके पिता का देहान्त हो गया जिम्मेदारीया राजकुमार जी पर गई बहुत संघर्ष किया लेकिन पहलवानी नही छोडी जब चारो और से घिर गये और लगा कि पहलवानी अब आसान ना होगी तो अखाडा खोल बच्चे बच्चीयो को प्रषिक्षण देने लगे l


रविन्द्र शामली ----- अब अखाडे का मुख्य संचालक कौन है ?


चमेली देवी ---- बडा बेटा है मेरा अशोक गोस्वामी वही चलाता है।


रविन्द्र शामली ----- गुरू जी परिवार और अखाडे के लिये समय का ताल मेल कैसे बिठा पाते थे ?


चमेली देवी ----- उनकी अपनी शैली थी काम करने की वे तालमेल बिठा ही लेते थे l


रविन्द्र शामली--- - राजकुमार जी ने महाभारत के भीष्म की तरह पूरा जीवन संघर्षो मे गुजार दिया आपको क्या लगता है ?

चमेली देवी ---- सही कहा आपने वे तो लगातार लडते ही रहे समस्याओ के साथ उन्होने परिवार और कुस्ती को बहुत कुछ दिया आज सब चीजो की मौज है। सब उनही की देन हे। वे होते तो बात कुछ और होती जब उनके सुख देखने के दिन आये तो वे चले गये क्या कर सकते है बस से बहार की बात है।


रविन्द्र शामली ---- आपने बडे उतार चढाव देखे है। दुनिया देखी है। कोई अनुभव बताओ ?


चमेली देवी - इन्शान समय के हाथो की कटपूतली के समान हैं कई मौको पर एक नही चलती , एक और बात कहना चाहुगी की जो दूसरो की इज्जत नही करना जानता उसे खुद के सम्मान की कल्पना भी नही करनी चाहिये मान सम्मान जितना दोगे उससे कई गुना ज्यादा मिलता है ये भी सच्चाई है यही मेरा अनुभव है।


रविन्द्र शामली ---- गुरू राजकुमार जी की विरासत ओरआगे बढे क्या सोचा है माता जी इस विषय मे ?


चमेली देवी ---- पहले अशोक गोश्वामी पहलवानी करता था अब अखाडा चलाता हैं इस परम्म्परा को ओर आगे तक ले जाने के लिये प्रतिबद्ध है। इसिलिये अशोक गोश्वामी अपने दो भतिजो को पहलवानी करवा रहा है दोनो भतीजे अभी छोंटे बच्चे हैं l


रविन्द्र शामली ---- पाठको के लिये कोई संदेश दीजिये ?


चमेली देवी ---- अच्छे आदमी बनो , अच्छे काम करो , अच्छे काम करोगे तो सब बूझते है बुरे करोगे तो कोई नही बूझता है।


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llसाक्षातकार कर्ता ll
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत ब्यूरो चीप
(उत्तर प्रदेश)