Thursday, May 21, 2020

दहेज भ्रष्टाचार की जड - प्रवीण कुमार

अर्जुन अवार्डी , एशिया चैम्पियन , ओलम्पियन श्री प्रवीण कुमार ( बी0आर0 चोपडा महाभारत के भीम) का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू


रविन्द्र शामली - शिक्षा के मामले मे हम लगातार आगे बढ रहे है। बीते हुये कल और आज मे आपको क्या बदलाव दिखाई देता है ?
प्रवीण कुमार - मुझे तो अपने बाबा, दादा ,चाचा ,ताये अच्छे लगते है आज के पढे लिखो से जो ज्यादा पढे लिखे तो नही थे लेकिन उनका जमीर जिन्दा था । आजके ज्यादातर पढे लिखो को दहेज चाहिये , वो भी बहुत सारा आज के इन  पढे लिखे दहेज के लोभियो को धिक्कार है। 

रविन्द्र शामली - आप भ्रष्टाचार की जड किसे मानते है ?
प्रवीण कुमार - दहेज भ्रष्टाचार की जड है। जब कभी टीवी पर दहेज से जुडी गम्भीर घटनाये देखता हू तो सोचता हू कि मै एसे समाज का हिस्सा क्यो हू ।

रविन्द्र शामली - समाज मे बढते अपराधो का क्या कारण है ?
प्रवीण कुमार - संस्कार की कमी l

रविन्द्र शामली - आप अपने आपको बेहतर खिलाडी मानते है या अभिनेता ?
प्रवीण कुमार - मै खिलाडी था , खिलाडी हू  और अपने आपको सदा खिलाडी ही मानता रहूगा । 

रविन्द्र शामली - समाज सेवा और राजनिति की बात करे तो ये एक ही है या आप इनमे अन्तर देखते है ?
प्रवीण कुमार - समाज सेवा तो कोई भी कर सकता है। राजनिति का तमगा जरूरी नही , यदि नेताओ मे समाज सेवा की भावना  भरी होती तो सडको पर वर्तमान मे यह दुखद मंजर ना दिखाई देता । इन लोगो की  यारी भी माडी है और दुश्मनी भी । 

रविन्द्र शामली -  हम जिस सभ्य समाज का दम भरते है वहॉ पर बेटा और बेटी मे आज भी भेदभाव किया जाता है क्या कारण है? 
प्रवीण कुमार - यह बहुत ही जटिल विषय है और  इसके कई कारण है। कम शब्दो मे कहु तो यह सब मानसिकता का खेल है और छोटी सोच का परिणाम है।  

रविन्द्र शामली - आपने खेल और अभिनय दोनो जगह अपना लोहा मनवाया ,इनमे कौन सा आसान है ? 
प्रवीण कुमार - सहज तो दुनिया मे कुछ  भी नही है। वर्तमान मे मजदूर और मजबूर के द्वारा दो वक्त की रोटी का इन्तजाम करना भी सहज नही रह गया है। खेल और अभिनय की बात करे तो  अभिनय मे रिटेक लिये जा सकते है। लेकिन खेल मे एसा नही होता है। इसलिय खेल के सामने अभिनय कही  नही  ठहरता । 


रविन्द्र शामली - फिल्मी दुनिया की चकाचौन्ध और वास्तविकता मे कितना अन्तर है ? 
प्रवीण कुमार - उतना ही अन्तर है। जैसे जमीन से चॉद बहुत चमकदार दिखाई देता है लेकिन चॉद पर जाओ तो वहॉ कंकर पत्थर के अलावा कुछ हाथ नही आता । 

रविन्द्र शामली - भीम का रोल करने के बाद जीवन मे क्या बदलाव आये ?
प्रवीण कुमार -  महाभारत के बाद मै ज्यादा अध्यात्मिक हो गया था । लोगो का इतना प्यार मिला कि कभी सोचा नही था। जब खेलो मे था तब भी और जब महाभारत किया तब फिर वही प्यार अपने प्रति मुझे दिखाई दिया। 

रविन्द्र शामली - महाभारत के दौरान बी आर चोपडा ने क्या आपको काई सुझाव दिया था  ? जो कारगर साबित हुआ हो और आज भी याद हो। 
प्रवीण कुमार - मुझे याद है चोपडा सहाब ने मुझे ही नही हम सभी कलाकारो को कहा था कि कोई भी किसी कलाकार की नकल मत करना जिसके अन्दर से जैसी कलाकारी निकले वैसी ही कलाकारी को परदे पर साकार करे । उनकी यही बात वरदान साबित हुई ।

रविन्द्र शामली - महाभारत का कोई एसा सीन जो आपको झकझोर देता हो ? 
प्रवीण कुमार - द्रोपदी चीर हरण का सीन जब सूट किया गया और जब उसे देखा गया केमरे पर की सब कुझ ठीक से हो गया है या नही , तो तब मुझे बडा दुख हुआ था कि किसी समय किस तरह से एक नारी को बेईज्जत किया गया था । लेकिन फिर मेरे अन्दर से आवाज निकलकर सामने आई कि आज भी यही सब हो रहा है। कोई ना कोई घटना निकलकर सामने आ जाती है। कानून का डण्डा चलता है तो फॉसी तक हो जाती है। लेकिन फिर एसी घटना घटजाती है , इसलिये हर किसी को अपने बच्चो को संस्कार का पाठ पढाने की जरूरत है। समस्या तब उत्पन्न होती है जब संस्कार का पाठ पढाने वालो मे खुद ही संस्कार ना हो , तो वे पाठ किसे पढायेगे । 


रविन्द्र शामली - पंजाब आपकी जन्म भूमि है लेकिन आपको दिल्ली और बम्बई मे रहना पडा , याद तो आती होगी पंजाब की ? 
प्रवीण कुमार - बहुत याद आती थी पंजाब की , दिल्ली बम्बई मे तो मेरा शरीर रहा आत्मा तो मेरी पंजाब ही रह जाती थी। 

रविन्द्र शामली - अपने चहाने वालो के लिये क्या संदेश देना चाहोगे ? 
प्रवीण कुमार - मै विशेष रूप से युवाओ को कहना चहाता हू कि चरित्रवान बनो l एसे कार्य ना करो की आपके परिवार की इज्जत का चीर हरण हो जाये । जो कमाते हो उसमे से थोडा  बचाया भी करो  भविष्य मे आपके काम आयेगा । वरना जब आपको जरूरत पडेगी उस समय ना तो समय आपके पास होगा और ना फूटी कोडी  

Monday, May 18, 2020

मुझे महाभारत से पहचान मिली :- विष्णु पाटील

बी0 आर0 चोपडा के महाभारत मे परदे के पीछे काम कर चुके वर्तमान मे  बॉलीवुड  हिंदी फिल्मों के ड्रेस डिजाइनर श्री विष्णु पाटील से रविन्द्र शामली की हुई बातचीत के मुख्य अंश.

रविन्द्र शामली - आपकी वर्तमान मे FASHION SHOP किस नाम से है ?
 विष्णु पाटील-वर्तमान मे मेरी FASHION SHOP VAISHNAVI FASHION HOUSE और  VIVAM DRESSWALA के  नाम से है।
रविन्द्र शामली - बी0 आर0 चोपड़ा के महाभारत मैं आपको काम किस प्रकार मिला था ? 
विष्णु पाटील- महाभारत के सभी पात्रों की ड्रेस उस समय के नामचीन मगनलाल ड्रेसवाला ने तैयार की थी मैं बहादुर शाह जफर के सेट पर काम कर चुका था जिसमें महाभारत के असिस्टेंट डायरेक्टर श्री गूफी पेंटल साहब शानदार अभिनय कर चुके थे शायद इन लोगों ने मेरा बहादुर शाह जफर के सेट पर काम के प्रति समर्पण देखा और मुझे महाभारत जैसे विशाल धारावाहिक में काम करने के लिए अनुबंधित किया था यहीं से में सुप्रसिद्ध मगनलाल ड्रेसवाला से जुड़ा और महाभारत से भी l
रविन्द्र शामली- उस जमाने में जब आप लोगों ने मिलकर के महाभारत के अभिनेताओं की ड्रेस को तैयार किया था तो कितनी चुनौतियां आपके सामने थी ?
विष्णु पाटील - चुनौतियां तो बहुत थी क्योंकि मैं भी उस समय नया था मुझे ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन मैं अपने काम के प्रति सदा समर्पित रहता था शुरू मे जो ड्रेस हमने महाभारत के शुरुआती कलाकारों के लिए तैयार की थी वह ज्यादा अच्छी नहीं थी धीरे.धीरे हमने उनमें बदलाव किया और जब कौरव और पांडव बडे हुए तब हम कई सारे बदलाव कर चुके थे l उस समय का एक किस्सा आपको बताता हू । रंगशाला का दृश्य शूट किया जाना था जहां पर कौरवों और पांडवों का परिचय होता है और कर्ण की एंट्री वहीं से होती है l सभी कलाकार बडे हो चुके होते है। अब जो ड्रेस बन करके आई थी वह हमें खुद जम नही रही थी उस दिन रवि चोपड़ा साहब को महाभारत की शूटिंग कैंसिल करनी पड़ी थी l लेकिन हमने चुनौतियों से पार पाया और चुनौतियों को स्वीकार किया l
रविन्द्र शामली - उस जमाने में एक कलाकार की ड्रेस पर कितना खर्चा आया करता था ?
विष्णु पाटील - 2 से 3 किलो तक मुकुट हुआ करता था और यदि खर्च की बात करें तो उस जमाने में महाभारत के एक कलाकार की ड्रेस के ऊपर करीब 10000 से 12000 तक का खर्च बड़ी आसानी से आ जाता था l
रविन्द्र शामली - एक कलाकार के लिए कितनी ड्रेस तैयार की गई थी ?
विष्णु पाटील - एक कलाकार के लिए हमने तीन ड्रेस तैयार की थी जिन को तीन भागों में बांटा भी गया था l नॉर्मल , दरबारी और वारियर एक ड्रेस का इस्तेमाल दरबार या राजभवन में होता था , एक ड्रेस का प्रयोग लड़ाई के दिनों में और एक नॉर्मल ड्रेस होती थी जिसको जरूरत के हिसाब से प्रयोग कर लिया जाता था l
रविन्द्र शामली- महिलाओं के लिए ड्रेस का विभाजन किया गया था या नहीं ?
विष्णु पाटील- नहीं हर महिला कलाकार के लिए हमने 6 ड्रेस तैयार की थी जिनको आसानी से चेंज किया जा सके और गर्मी की वजह से बदला जा सके तथा जब ड्रेस धुलवाने के लिए गई हो तो किसी प्रकार की कोई समस्या सामने ना आए l




रविन्द्र शामली - आप लोगों को एक कलाकार को तैयार करने में करीब कितना समय लग जाता था ?
विष्णु पाटील- महाभारत की शूटिंग से पहले जब हम लोग कलाकारों को तैयार करते थे तो एक कलाकार को तैयार करने में करीब 3 घंटे का समय लगता था जिन लोगों को दाढ़ी मूछ नहीं लगाई जाती थी l वह जल्द तैयार हो जातेे थे l
रविन्द्र शामली- आप चोपड़ा साहब की महाभारत की शूटिंग के दौरान शुरुआत से लेकर आखिर तक अपना योगदान देते रहे तो इस दौरान क्या कभी रवि चोपडा सहाब से मन मुटाव हुआ । ?
विष्णु पाटील- नहीं हम सब बहुत प्यार से कार्य करते थे रवि चोपड़ा जी बहुत ही गुणवान व्यक्ति थे मैं आपको एक किस्सा बताता हूं मुंबई में फिल्म सिटी में हम शूटिंग करने के बाद में जयपुर में बड़े शॉट्स लेने के लिए गए थे l उस समय मैंने पहली बार हवाई यात्रा की थी l मेरा एक पार्टनर था प्रभाकर पवार वह मुझसे पहले निकल गया था मौका ऐसा आया की प्रभाकर पवार जयपुर में जहां शूटिंग होनी थी वहां पर दूसरी तैयारी करा रहा था उस दिन सारा का सारा कार्य मुझे ही अकेले देखना पड़ा दोपहर के बाद लंच में कलाकारों ने अपनी कॉस्टयूम उतार दी क्योंकि वहां गर्मी बहुत ज्यादा होती थी l जब शूटिंग का समय शुरू हुआ तो मैं सभी कलाकारों को तैयार नहीं कर पाया जिसको लेकर रवि चोपड़ा जी भड़क गए और बोले कि यह क्या हो रहा है l जब उन्हें पता चला कि आज विष्णु पाटील अकेला है तो एकदम से बोल पडे ठीक है , ठीक है और चले गये l हम सबने बड़ा आनंद लिया है महाभारत की शूटिंग के दौरान सभी ने बड़े प्यार से और एक दूसरे की सहायता करते हुए अपना योगदान दिया है l
रविन्द्र शामली - महाभारत के कलाकारों की जो ड्रेस तैयार की गई थी उनके रंग आप लोगों ने ही पसंद की थी या रवि चोपड़ा साहब ने या किसी और ने ?
विष्णु पाटील - नहीं किस कलाकार की ड्रेस का रंग कैसा होगा यह सब पंडित नरेंद्र शर्मा जी तय करते थे l पंडित नरेंद्र शर्मा ही हमें बताते थे कि किस कलाकार के लिए किस किस रंग को वेशभूषा में प्रयोग करना है l जिस प्रकार से हमें पंडित नरेंद्र शर्मा जी गाइडलाइन करते थे उसी बात को ध्यान में रखते हुए हम लोग कलाकार के लिए ड्रेस को तैयार किया करते थे l
रविन्द्र शामली- शूटिंग के दौरान घर से आने और जाने में क्या कभी आपको किसी समस्या से दो.चार होना पड़ा है ?
विष्णु पाटील - हां पूछिए मत , उस जमाने में मेरे पास गाड़ी नहीं होती थी मैं मुंबई वर्ली में रहता था शाम को जब हम शूटिंग पूरी करके फिल्म सिटी से लौटते थे तो मैं ज्यादातर भीष्म का किरदार निभा रहे श्री मुकेश खन्ना जी की गाड़ी में ही उनके साथ जाया करता था शूटिंग के बाद में जब तक मैं अपना सारा कार्य पूरा ना कर लू तब तक मुकेश खन्ना जी मेरे लिए वेट करते रहते थे और मेरा कार्य पूरा होने के बाद में मुझे अपने साथ लेकर के जाते थे ऐसा प्यार था हम लोगों का आपस में l
रविन्द्र शामली - महाभारत बाद में भी बनाई गई , लेकिन जो मुकाम बी0आर0 चोपड़ा साहब की महाभारत को मिला दूसरे महाभारत को वह मुकाम नहीं मिला l आप क्या कहना चाहेंगे ?
विष्णु पाटील- जब एकता कपूर महाभारत बना रही थी तो वह मेरे पास आई थी और उन्होंने हमसे कहा था कि हम महाभारत बना रहे हैं हमारे कलाकारों की ड्रेस तैयार करो जो चोपड़ा साहब के महाभारत के कलाकारों की ड्रेस में मैच ना करती हो l हमने ऐसा किया , लेकिन हमें लगता था कि कोई भी दूसरा व्यक्ति अब दूसरे महाभारत का निर्माण तो कर ही नहीं सकता और यही हुआ l क्योंकि मासूम राही साहब जैसे संवाद तो कोई लिख ही सकता था l
रविन्द्र शामली- आपने बी आर फिल्मस कम्पनी बाद मे क्यो छोडदी थी ? 
विष्णु पाटील- मैंने इस कंपनी को छोड़ दिया था क्योंकि कंपनी रवि चोपडा जी के बच्चो के हाथ मे चली गई थी उनके बच्चों का बर्ताव हमारे प्रति इतना अच्छा नहीं था जितना होना चाहिए था , फिर मैंने अपना अलग कार्य करना शुरू कर दिया था l बी आर फिल्मस मे बाबुल मेरी आखिरी फिल्म थी ।
 
रविन्द्र शामली - महाभारत में आपने कितने कितने घंटे काम किया ?
विष्णु पाटील- उस जमाने में पूरा पूरा दिन महाभारत की शूटिंग हुआ करती थी स अनेक लोग शूटिंग देखने के लिए आया करते थे नीतीश जी के लोग पैर छू छू करके जाया करते थे l मेरा कार्य तो सुबह 5 बजे से शुरू हो जाता था l मैं महाभारत की सेट पर 5 बजे पहुंच जाता 6 बजे तक रवि चोपड़ा साहब आ जाते थे और फिर लगातार शूटिंग होती थी हम लोगों ने 20 घंटे 22 घंटे लगातार कार्य किया है l
रविन्द्र शामली- आप अपना गुरु किसे मानते हैं ?
विष्णु पाटील- मेरे गुरु थे रवि चोपड़ा जी मैं आज जो भी कुछ हूं वह सब रवि चोपड़ा जी की देन है उन्हीं के पास में मैंने रह करके बहुत कुछ सीखा और उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया है l रवि चोपड़ा जी मेरे लिए किसी भगवान से कम नहीं थे l
रविन्द्र शामली- क्या शूटिंग के दौरान कभी किसी को चोट लगी ?
विष्णु पाटील - नहीं अनेकों बार जैसे घोड़े भाग जाते थे या कोई और ऐसी घटना हो जाती थी लेकिन लंबे समय तक जिस प्रकार से महाभारत की शूटिंग चली कुछ कुदरत की ऐसी दृष्टि रही है कि कभी भी किसी को शूटिंग के दौरान इस प्रकार से कोई चोट नहीं लगी कि जिसकी वजह से शूटिंग को रोकना पड़े l
रविन्द्र शामली- महाभारत की शूटिंग के दौरान का कोई यादगार पल जो आज भी आपको याद आता हो ?
विष्णु पाटील- पुनीत इस्सर और प्रवीण कुमार की फाइट जिसे देख कर के लगता ही नहीं था कि यह शूटिंग हो रही है विशालकाय परवीन पाजी और पुनीत इस्सर को शूटिंग के वक्त लोग देखकर के दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते थे l
रविन्द्र शामली- क्या कोई ऐसा भी धारावाहिक है जिसमें आपने पर्दे के पीछे महाभारत की तरह काम किया हो लेकिन वह पर्दे पर ना आ पाया हो , बीच में बंद हो गया हो ?
विष्णु पाटील- हां जी महाभारत में जो कृपाचार्य बने थे धर्मेश तिवारी जी उन्होंने एक प्रोजेक्ट तिरुपति बालाजी के नाम से शुरू किया था l यह बहुत ही शानदार प्रोजेक्ट था इसके लिए मुझे 5 साल के लिए अनुबंधित किया गया था l काम भी शुरू हो गया था लेकिन बाद में आपसी मनमुटाव और कहीं तरह की दूसरी समस्याओं के कारण वह प्रोजेक्ट बंद हो गया था , यदि यह प्रोजेक्ट बंद ना होता तो बहुत चलने वाला था l
रविन्द्र शामली- क्या आज भी महाभारत के कलाकरो से रिस्ते कायम है ?
विष्णु पाटील- हा जी अर्जुन फिरोज खान , गजेन्द्र चौहान , गुॅफी सहाब , प्रवीण कुमार , पंकज धीर , पुनीत इस्सर , विनोद कपूर , मुकेश खन्ना जी, नितिश भारद्वाज सभी से बात होती है और मिलते रहते है , सुटिगं के आखरी दिन तय हो गया था कि सभी बाद मे भी एक दूसरे के सम्पर्क मे रहेगे ।
रविन्द्र शामली- आखिर में आप पाठको को क्या संदेश देना चाहोगे ?
विष्णु पाटील- मैं तो यही कहना चाहूंगा की अहंकार को मत पालिए वर्तमान में जो कोरोना की बीमारी आई हुई है उससे बचने के लिए जहां तक हो सके अपने घर में रहो यदि नहीं मानोगे तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ेगा l