Wednesday, October 23, 2019

पहलवान संन्दीप पोसवाल पर विशेष


सन्दीप पोसवाल पहलवान का जन्म 15-07-1995 को उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर के निकट गॉव रानी नंगला मे हुआ था । सन्दीप पहलवान ने बचपन मे यह नही नही सोचा था  कि पहलवान बनुगॉ सन्दीप पोसवाल के शुरूवाती दौर की बात करे तो सन्दीप बचपन से ही शर्मीले स्वभाव के थे । साथ के बच्चो के साथ मे सन्दीप भी रोजाना सुबह को दौड लगाने जाया करता था । एक दिन का जिकर है। सन्दीप जहॉ पर दौड लगाने जाया करता था वही पर एक खेत की जुताई हो रही थी । खेत मे ही लडकपन्न मे सन्दीप पोसवाल अपने साथी दोस्त के साथ कुस्ती लडा लेकिन उस समय कुस्ती की एबीसीडी सन्दीप को नही आती थी ।  इस खेल मे धीरे धीरे सन्दीप का एसा मन लगा कि अब दौड लगाने के बताय सन्दीप रोजाना साथी बच्चो के साथ खेत मे कुस्ती लडने लगा । सन्दीप ने एक दिन अपनी मॉ श्रीमति महिपाली को बताया की मै पहलवान बनना चहाता हू । सन्दीप की मॉ ने सन्दीप के पिताजी बिजेन्द्र सिंह को कहा कि यह देखो सन्दीप कहता है कि पहलवान बनुगॉ सारे कपडे मिट्टी मे रगड कर लाता है। अब तो सन्दीप का भाई और बहन भी सन्दीप को पहलवान कहने लगे थे । सन्दीप के पिता बिजेन्द्र सिंह ने सन्दीप की मेहनत व लग्न को देखकर निकट के गॉव जन्धेडी मे खलीफा लख्मीचन्द  के पास छोड दिया । सन्दीप पोसवाल अब कुस्ती के रास्ते पर चल पडा था । बाद मे सन्दीप पोसवाल ने मेरठ और बम्भेटा मे भी अभ्यास किया । पहलवानी के साथ सन्दीप पोसवाल ने पढाई भी जारी रखी वर्तमान मे सन्दीप बीजीएमसी कर रहा है। 
सन्दीप की की उपलबि्ियो की बात करे तो सन्दीप पोसवाल  आल इण्डिया यूनिवर्सिटी चैम्पियन  7 बार 125 किलो मे रह चुके है। यहि नही यूपी रूस्तम और सितारा इन्दौर के खिताब भी संन्दीप पोसवाल के नाम है। सन्दीप पोसवाल शाकाहारी पहलवान है। जो घी दूध बदाम फल जूस जैसे अहार के बल पर अपनी पहलवानी को नई दिशा देने मे लगे हुये है।
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत

Tuesday, October 22, 2019

चुनौतियो से लडना मानव का कर्म :- अर्जुन पहलवान



रविन्द्र शामली - आप अब तक कितने दंगल करा चुके अर्जुन पहलवान जी ?

अर्जुन पहलवान - छोटो मोटे दंगलो की गिनती तो याद नही है। बडे दंगलो की बात करे तो यह 32 वॉ दंगल है।

रविन्द्र शामली -सबसे बडा इनाम इस दंगल मे कितना रखा गया है ?

अर्जुन पहलवान - सबसे बडा इनाम पहले हमने चार लाख रू0 रखा था फिर अमित प्रमुख जी बोले के भाई अर्जुन एक लाख रू0 मेरी तरफ से ,  आखिरी कुस्ती पॉच लाख रू0 के इनाम पर होगी ,  फिर आखिरी कुस्ती का इनाम  पॉच लाख कर दिया गया । 

रविन्द्र शामली - कम शब्दो मे कहे तो दंगल क्या है ?

अर्जुन पहलवान - सच कहे तो दंगल हमारी संस्कृति का हिस्सा है। जिसके माध्यम से युवा मजबूत होते है और यही से मजबूत समाज का निर्माण होता है। समाज मजबूत होगा तो देश भी मजबूत होगा । 

रविन्द्र शामली - इस सफल आयोजन के लिये किन- किन चुनौतियो का सामना करना पडा ?

अर्जुन पहलवान -कोई भी काम हो चुनौतिया हर कार्य मे आती है। चुनौतियो से लडना मानव का कर्म भी है। और धर्म भी है। मै चुनौतियो से लडा और नतिजा आपके सामने है। 

रविन्द्र शामली - फिर भी सबसे बडी चुनोतिया कौन सी रही  ?

अर्जुन पहलवान - यह दंगल उन कार्यो मे से एक था जो सर्व समाज के सहयोग से होते है। मै कई महीने तक सहयोग के लिये  लोगो से मिला कुछ अच्छे लोग मिले कुछ बुरे मिले । कई खट्टे मीठे अनुभव हुये । इस चुनौती को पार किया । मेरे सामने  दूसरी चुनौती थी बहार से आने वालो को पूरा सम्मान देने की जिसमे मुझे सौ प्रतिशत सफलता मिली । 

रविन्द्र शामली - आपकी सबसे बडी ताकत क्या है ? 

अर्जुन पहलवान -बाबा जी फूलशन्दे जी का आशिर्वाद है। मॉ बाप का आशिर्वाद है। मेरे भाई भतीजे बच्चे मेरी आज्ञा का पालन करते है बस यही मेरी ताकत है। 

रविन्द्र शामली - आप सब भाईयो के नाम महाभारत के पात्रो पर रखे गये है। लोग पूछते है  क्यो  ? 

अर्जुन पहलवान - कहा जाता है कि हमारे गॉव मे कभी पॉचो पाण्डव आये थे और यहॉ पर रूके गॉव का नाम पचैण्डा तभी पडा था । पिताजी भी पहलवान रहे है अपने समय के , वे एतिहासिक बातो को आगे बढाने मे विश्वास रखते है। इन्हीं बातो से प्रभावित होकर पिताजी ने हम पॉचो भाईयो के नाम पाण्डवो के नाम पर रख दिये थे । 

रविन्द्र शामली - आपके अखाडे पचैण्डा कला मे कौन - कौन सी सुविधा उबलब्ध है ?

अर्जुन पहलवान -दौड के लिये ग्राउन्ड है,  मैट है,  जिम है ,  मैट हॉल तैयार हो रहा है। 

रविन्द्र शामली - आपके बारे मे एक बात कही जाती है कि अर्जुन पहलवान बात को मुह पर कहने वालो मे से है। जबकि आज के दौर मे ये  विचार धाराये बदल रही है। इस विषय पर आपकी क्या राय है ? 

अर्जुन पहलवान - विचारधाराये बदलने का सबसे बडा कारण है। आज के दौर मे लोग अपना नफा नुकशान ज्यादा देखते है। लेकिन मै इन बातो से इत्तेफाक़ नही रखता हू । मै किसी के प्रति कोई द्वेष नही रखता हू । मुझे   जिसे जो कहना होता है उसे उसके मुह पर ही कहने मे विश्वास रखता हू ।  

रविन्द्र शामली - पाठको के लिये क्या संदेश देना चाहोगे ?

अर्जुन पहलवान - यही कहना चाहूगॉ कि अच्छा काम करोगे तो सम्मान मिलेगा ,  बुरा काम करोगे तो गालिया । यही दो चीजे साथ जाती है बाकी कुछ नही साथ जाता इसलिये अच्छे काम करो । अपने बच्चो को सदाचार की बात सिखाया करो , अपने मॉ बाप की सेवा किया करो यही सबसे बडा तीर्थ है। 
                                                                                   समाप्त
साक्षातकार कर्ता 
रविन्द्र शामली 
कुस्ती जगत  

Wednesday, October 16, 2019

पत्रकारिता मेरे खून मे है:-नरेन्द्र चिकारा


नरेन्द्र सिंह चिकारा जिला शामली का एक एसा पत्रकार है जिसकी  कर्मठता को देखकर दूसरे लोग भी बहुत कुछ सीख सकते है। पत्रकारिता को समर्पित एसा जज्बा कम ही देखने को मिलता है। कोई भी क्षेत्रिय खबर नरेन्द्र सिंह चिकारा से बच कर निकल जाये यह सम्भव नही है।  नरेन्द्र सिंह चिकारा ने जिला शामली के पत्रकारो मे अपनी अलग साफ स्वछ छवी बनाई है। यह छवी उनके कार्य और उनके पत्रकारिता मे दिये गये योगदान का परिणाम है।  नरेन्द्र सिंह चिकारा का  रूतबा इसी बात से बखुबी नापा जा सकता है कि  चिकारा जी के द्वारा भेजी गई खबरे ज्यो की त्यो  अखबार द्वारा छापदी जाती है। कभी कोई कटिगं नही की जाती वर्तमान मे चिकारा जी जनवाणी अखबार मे अपनी सेवाये देते है। नरेन्द्र सिंह चिकारा  के योगदान को देखते हुये कई अखबार  चहाते है कि नरेन्द्र सिंह चिकारा उनके अखबार मे काम करे । लेकिन नरेन्द्र सिंह अखबार बदलने मे नही बल्कि जहॉ पर है वही पर काम करने को बेहतर मानते है। पत्रकारिता नरेन्द्र सिंह की मजबूरी नही बल्कि शौख है। नरेन्द्र सिंह कहते है कि पत्रकारिता तो मेरे खून मे है,  यह मेरा शौख है,  मेरा जनून है इसलिये मै इसे नही छोड पाता हू । गडे मुर्दो को उखाडकर सच्चाई सामने लाने की महारत नरेन्द्र सिंह चिकारा को बखुबी हासिल है।  नरेन्द्र सिंह वो पत्रकार है जो वास्त्विक व सच्चे विषयो से जनवाणी अखबार के माध्यम से समाज को सच का आईना दिखाता है। नरेन्द्र सिंह के विरोधी हर बार उनकी कलम के सामने घुटने टेकने को मजबूर हो जाते है। नरेन्द्र सिंह कहते है कि कलम ही मेरी की ताकत है,  कलम ही मेरा हथियार है।   समाज को एसे ही निष्पक्ष पत्रकारो की जरूरत है। 
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत