Thursday, January 17, 2019

मोहित भीम पहलवान (किगं) साक्षात्कार

रविन्द्र शामली -  आपको अकेले बहुत सारे निजी कार्य भी देखने होते है। अखाडे के लिये समय निकालना कितना मुशकिल होता है ? 

मोहित भीम पहलवान-  जब आदमी दिल से किसी कार्य को सोचता है तो हो ही जाता है। उसमे समय निकालना ही क्यो ना हो , निकल ही जाता है। फिर वो आदत हो  जाती है , कि ये कार्य करना है तो करना ही है। 

रविन्द्र शामली - आप अपने अखाडे के कुछ बच्चो का खर्च तक उठाते है। यह ताकत , यह प्रेरणा  कहॉ  से मिली ?

मोहित भीम पहलवान- ये सब पिताजी के बनाये रास्ते है। पिताजी तो अपनी सारी तनखा तक पहलवानो पर खर्च कर देते थे । थोडा बहुत हमसे भी जो बनता है हम भी करते है। इस सबसे बच्चो मे थोडा उत्साह पैदा होता है।  

रविन्द्र शामली - सरकार को क्या कदम उठाने चाहिये जिससे कुस्ती का  वास्तविक विकास हो सके ?

मोहित भीम पहलवान- जो भी पुराने अखाडे है उनकी जो भी छोटी मोटी समस्या है वे दूर करदे और उनके नवीनिकरण मे सरकार सहयोग करे तो मुझे लगता है। हम बहुत आगे जा सकते है इस क्षेत्र मे । 

रविन्द्र शामली -अपने पिताजी के बारे मे संक्षेप मे बताये कैसे थे ? भीम पहलवान जी  

मोहित भीम पहलवान- जीवो से बडा लगाव था पिताजी को अखाडे मे भी कुत्ते बिल्लीयो को भी खुब दुध पिलाते थे । लोग कहते है आज भी के कुस्ती के दिवाने थे भीम पहलवान जी । 

रविन्द्र शामली - आपकी बहन कहती है कि हर बहन को मोहित किगं जैसा भाई मिले । आप क्या कहेगे ?

मोहित भीम पहलवान- अच्छा लगता है। वैसे  मै तो अपना फर्ज निभाता हू , और कहना चहाता हू आपके माध्यम से हर इनसान को अपना फर्ज निभाना चाहिये जो अपना फर्ज नही निभा सकता वह कैसा इन्सान  

रविन्द्र शामली - खेल की बात करे तो कितना मुशकिल है ?

मोहित भीम पहलवान-  मुश्किल तो बहुत है दुनिया मे हर चीज मुश्किल है , अब तो  खेती किसानी से लेकर दो वक्त की रोटी , नौकरी का इंतजाम भी मुश्किल ही है। आसान कुछ नही रहा । दुनिया मे जीना है तो संघर्ष करना ही है। बिना फल की इच्छा के जो मिले ठीक है , ना मिले तो भी ठीक 

रविन्द्र शामली - माताजी सरस्वती जी के बारे मे थोडा  सा बताईये ?

मोहित भीम पहलवान- मेरी माता जी सरस्वती महलावत बहुत मजबूत महिला है। बहुत उतार चढाव उन्होने देखे है।  फिर भी उन्होने कभी भी किसी चीज की कोई कमी हमे महसूस नही होने दी । महिला होते हुये अखाडे का संचालन करने से कभी पीछे नही हटी । एक तरह से कहु कि मेरी मॉ ने  पढाई का क्षेत्र हो , पारिवारिक जिम्मेदारीया हो , नौकरी हो , अखाडा संचालन हो उन्होने अपने आप को हर जगह अब्बल साबित किया है। 

रविन्द्र शामली - वर्तमान मे कौन सी समस्या सबसे जटिल है।  सामाजिक स्तर की बात करे तो ?

मोहित भीम पहलवान- बढती जनसंख्या बहुत सारी समस्याओ की जड है। बोट की राजनीति से उपर उठकर सरकार को इसका हल सोचना चाहिये । 


साक्षात्कार कर्ता 
रविन्द्र शामली 
कुस्ती जगत 

Wednesday, January 9, 2019

विरासत मे मिली चमक पर खरा उतरना ही लक्ष्य - अमित ढाका


रविन्द्र शामली - अमित जी 19, 20, 21 जनवरी 2019 मे आपके अखाडे मे जो आयोजन हो रहा है। क्या क्या तैयारी हो रही है ?

अमित ढाका - आयोजन को सफल बनाने के उदृदेश्य से  बहुत सारी तैयारी की जा रही है। अधिकतर कार्य हमने अपने स्तर पर पूरा कर लिया है। जो बाकी है उसे भी जल्द पूरा करलेगे ।

रविन्द्र शामली - क्या कभी बचपन मे सोचा था कि मै द्रोणाचार्य कैप्टन चॉदरूप अखाडे का संचालक बनूगां ?

अमित ढाका - नही कभी नही सोचा एसा मैने , मै अपने दादा जी का हाथ बटाया करता था । दादा जी और पिताजी के बाद एकदम से सारी जिम्मेदारीयॉ मेरे कन्धो पर आ गई ।

रविन्द्र शामली - अखाडे मे किन बुनियादी सुविधाओ की जरूरत है ?

अमित ढाका -  वैसे तो कई बुनियादी सुविधाओ की दरकार है। धीरे धीरे हम अपने दम पर ज्यादा से ज्यादा 
 सुविधाये अपने बच्चो को दे रहे है । हम  अपने आप कमाते भी है , और अपने अखाडे पर लगाते  भी है। 

रविन्द्र शामली - विरासत मे मिली अखाडे की कुर्सी का दायित्व  निभाना  कितना मुश्किल था  ?

अमित ढाका - मेरे लिये यह सब बहुत मुश्किल था । दादा जी ने और पिताजी ने इस अखाडे को अपने पशीने से सीचा था । सच कहू तो यह अखाडा  उनके जीवन भर के काम और नाम की पृष्ठभूमि था । मेरे लिये गलती करने का कोई मौका ही नही था । मै नही चहाता था कि मै कोई गलती करू और लोग कहे कि दादा और पिताजी ने जो नाम कमाया था वो पोते ने खत्म कर दिया । मेरा मुख्य  लक्ष्य रहा , इस विरासत पर खरा उतरना और इस विरासत को आगे बढाना । 

रविन्द्र शामली - आज के अमित ढाका और जब जिम्मेदारीयॉ आप पर नही थी उस अमित ढाका मे क्या अन्तर महसूस करतें है ?

अमित ढाका - जब जिम्मेदारीयॉ नही थी तो खूब मौज मस्ती किया करते थे । अब तो काम से ही फुर्सत नही होती । सच तो ये है जो समय बीत गया वो तो आ ही नही सकता । संसार का नियम है आगे बढते जाना ही है। 

रविन्द्र शामली - वास्तविकता भी है। यदि आज मै आपको अमित ढाका नही ,  गुरू अमित ढाका कहू तो क्या कहोगे ? 

अमित ढाका - कभी कभी आपकी इस तरह की बातो से मुझे डर सा लगता है। (हसते हुये ) गुरू जी तो कैप्टन सहाब ही थे वे ही रहेगे , हम तो जब भी सेवक थे आज भी सेवक बनकर ही अपनी सेवा देने मे विश्वास रखते है।

रविन्द्र शामली - अमित भाई जीवन मे उतार चढाव हर किसी के सामने आते है। श्री राम को भी बनवास भोगना पडा था । आपने  भी बहुत बडे भारी उतार चढाव जीवन मे देखे है ,  फिर भी वो कौन सी बात है। जिसे सोचकर ही दिल खुश हो जाता है ?

अमित ढाका - मेरे लिये तो गर्व की बात यही है कि मैने अपने दादा जी के परिवार मे जन्म लिया । पिताजी के संघर्षो को देखा ,कुस्ती सम्राट  दादा जी चॉदरूप के साथ समय बिताया यह भी सौभाग्य है हमारा । 

रविन्द्र शामली - अखाडे मे कैप्टन सहाब से जुडी वस्तुओ का संग्राहल्य होना तो चहिये , आप क्या कहोगे ? 

अमित ढाका - बिलकुल होगा रविन्द्र भाई आप चिन्ता ना करे ये वादा है आपसे मेरा बिलकुल होगा । 

रविन्द्र शामली - आपके अखाडे का भारत तो दूर दुनिया मे नाम है। बहुत समय से आप सेवाये दे रहे है। अखाडे से जुडी कौन सी विषय वस्तु है जो दिल दुखा जाती है ?

अमित ढाका - जब किसी बच्चे पर बहुत मेहनत की जाती है और वो बच्चा अखाडा  छोडकर किसी लालच मे दूसरे अखाडे  मे चला जाता है। तो एसी घटनाये दिल दुखा जाती है। हालाकि अब इन बातो का हम पर ज्यादा असर नही होता । लगता है ये तो होता ही रहता है।

रविन्द्र शामली - क्या अच्छा लगता है ?

अमित ढाका - समाज के लिये आने वाली नश्लो के लिये कुछ अच्छा कर गुजरना 

रविन्द्र शामली - खाने मे क्या पसंद है ? 

अमित ढाका - बहुत सारे कार्य करने के लिये बहुत सारी उर्जा की जरूरत होती है। मै सूखी मेवा , दूध , दही , फल , और बहुत सारा जूस पसंद करता हू । 

रविन्द्र शामली - जूश बहुत सारा मतलब कितना ?

अमित ढाका - दिन मे चार  लीटर । 

यह थे श्री अमित ढाका जी , जो कुस्ती कोच श्री रणबीर सिंह ढाका के बेटे व कुस्ती सम्राट द्रोणाचार्य कैप्टन चॉदरूप जी  के पोते है। वर्तमान मे श्री अमित ढाका जी  कुस्ती सम्राट कैप्टन चॉदरूप द्रोणाचार्य अखाडा के संचालक है।


साक्षातकार कर्ता 
रविन्द्र  शामली 
कुस्ती जगत 

Sunday, January 6, 2019

परिश्रम और संयम जीवन मे जरूरी - : शहनवाज मिर्जा

देश की धडकन , देश की शान , युवाओ के प्रेरणा श्रोत , आईरन मैन , मिस्टर दिल्ली , मिस्टर इण्डिया , मिस्टर एशिया , मिस्टर वर्ल्ड श्री शहनवाज मिर्जा से हुई खास मुलाकात के मुख्य अशं ---------------


रविन्द्र शामली - बोडीबिल्डिगं मे कैसे आये ?
शहनवाज मिर्जा - पता ही नही चला बचपन मे तो नही सोचा था की मै बॉडी बिल्डर बनूगॉ मैने क्रीकेट भी खेला, तैराकी भी की , दूसरे खेल भी खेलता रहा । फिट रहने के लिये जिम किया करता । कुछ लोगो का घर परिवार का साथ मिलता गया और मे एक बॉडी बिल्डर बन गया ।
रविन्द्र शामली - आपका जन्म कब और कहॉ पर हुआ ?
शहनवाज मिर्जा - मेरा जन्म दिल्ली मे ही हुआ 13-01-1984 मे दिल्ली मे ही पला बडा हुआ । आप कह सकते है कि मैने दिल्ली को करीब से देखा इन सालो मे ।
रविन्द्र शामली - आपके बचपन से लेकर अब तक दिल्ली कितना बदल गई मिर्जा सहाब ?
शहनवाज मिर्जा - बहुत कुछ बदल गया है। गगन गगनचुंबी इमारते , फ्लाईओवर , सडके बहुत कुछ बदल गया है। लोग भी धीरे धीरे बदल रहे है। पहले सब एक साथ बैठते थे l आज किसी के पास फोन के अलावा समय नही है। मै तो आपके माध्यम से कहना चाहूगॉ युवाओं को कि अपने मॉ बाप के पास दो घडी बैठा करो , समय निकाला करो । जो मॉ बाप के लिये भी समय नही निकाल पाता उसका तो उपर वाला भी भला नही कर सकता ।
रविन्द्र शामली - आज आप स्टारडम के शिखर पर है। किसका हाथ मानते है। अपनी सफलता मे ?
शहनवाज मिर्जा - हाथ तो उपर वाले का ही होता है हर किसी की सफलता मे बाकी अपनी महनत और परिश्रम होता है। गुरू , कोच अपने जो टरेनर उनका भी बहुत बडा योगदान होता है। मॉ बाप का भी योगदान , परिवार का योगदान भी दरकिनार नही किया जा सकता है। खुराक पर बहुत खर्च आता है। परिवार के सदस्य अपने खर्चो को कम करते है। तब जाकर कोई भी खिलाडी हो वो आगे बढता है।
रविन्द्र शामली - आपको पहली बडी सफलता कब मिली ?
शहनवाज मिर्जा - साल 2000 मे मै मिस्टर दिल्ली बना , उसके बाद मैने पीछे मुडकर नही देखा । 2007 मे और 2010 मे मैने वाई एम सी मे देश के लिये गोल्ड मेडल प्राप्त किया । , 2013 मे और 2014 मे मैने फिर मिस्टर दिल्ली का खिताब अपने नाम किया था , इसके बाद मैने 2014 मे एक बार फिर नोर्थ इण्डिया मे गोल्ड प्राप्त कर अपने आप को साबित किया । जस्ट अगले साल मैने 2015 मे मिस्टर इण्डिया का खिताब अपने नाम किया । इसके बाद साल 2018 मे मैने मिस्टर इण्डिया का खिताब अपने नाम किया । साल 2018 मेरे लिये बडा शानदार रहा इसी साल मे मैने दो और बडी चैम्पियनशिप मे भाग लिया जौलाई के महीने मे फिलीफिन्स के अन्दर मिस्टर वर्ल्ड के नाम से चैम्पियनशिप हुई जिसमे बियालिश (42) देशो के बॉडी बिल्डर आये थे l जहॉ मुझे ब्रोन्ज मेडल प्राप्त हुआ ।
इसी साल मैने मिस्टर यूनिवर्स मे हिस्सा लिया जहॉ पर बावन (52) देशो के बॉडी बिल्डर आये थे , वहा पर मैने सिलवर मेडल प्राप्त किया ।
रविन्द्र शामली -सबसे बडी खुशी का लम्हा आपको कब लगा ?
शहनवाज मिर्जा -जब जब मै विक्टिस स्टैंड पर मेडल के साथ खडा होता हू तिरंगा लहराने का अवशर उस समय हमे लिता है। वही ये लम्हा होता है। मुझे लगता हर खिलाडी के लिये यह लम्हा बेहद शानदार होता है l
रविन्द्र शामली - अपने परिवार के बारे मे भी थोडा सा बताईये मिर्जा सहाब ?
शहनवाज मिर्जा - मेरे पिता का नाम श्री मिर्जा इश्तकार अली और माता का नाम रशीदा मिर्जा है। हम चार भाई है। हमारी एक बहन है।
रविन्द्र शामली - कितने समय आप वर्क आउट करते है ?
शहनवाज मिर्जा - अब मै दो घंटे सुबह दो घंटे शाम वर्कआउट करता हू । पहले ज्यादा भी किया है।
रविन्द्र शामली - कैसी डाईट पसंद है आपको ?
शहनवाज मिर्जा - जिसमे प्रोटीन ज्यादा हो बस
रविन्द्र शामली - आप किस कम्पनी की ब्राण्डिगं करते है?
शहनवाज मिर्जा - पी0एस0एन0 का मै ब्राण्ड एबेसेडर हू । यह कम्पनी खिलाडियो के लिये फूड सपलिमेन्ट बनाती है।
रविन्द्र शामली - स्टारडम क्या है ?
शहनवाज मिर्जा - जब कोई भी व्यक्ति लोगो के दिलो पर राज करे वही स्टारडम है। सुरूवात मे हर कोई चहाता है कि मुझे लोग जाने जितना मुशकिल स्टारडम प्राप्त करना है। उससे कई गुना मुशकिल स्टारडम को सम्भालकर रखना होता है।
रविन्द्र शामली -युवाओ को क्या संदेश देना चाहोगे ?
शहनवाज मिर्जा - सफलता का कोई सोर्टकट नही है। सफलता को प्राप्त करने के लिये लगातार परिश्रम की जरूरत होती है। लगातार परिश्रम करो किसी भी क्षेत्र मे करो , सफलता मिलती है। शोर्टकट मारने वाले अक्षर मार खा जाते है। परिश्रम का फल ज्यादा सकून देने वाला होता है।

साक्षातकार कर्ता 
रविन्द्र शामली
कुस्ती जगत